SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नमस्कार महामंत्र केन्द्र (भृकुटि मध्य ) पर लाल रंग के साथ, णमो आयरियाणं के जप को विशुद्धि केन्द्र (कण्ठ का स्थान ) पर पीले रंग के साथ, णमो उवज्झायाणं के जप को आनन्द केन्द्र (हृदय स्थान) पर हरे रंग के साथ, णमो लोए सव्व साहूणं के जप को शक्ति केन्द्र (रीढ की हड्डी का अन्तिम छोर ) पर नीले रंग के साथ जोड़ दें । दूसरी विधि है पांच पदों को श्वास के साथ जोड़ देने की, जैसेप्रथमपद के स्मरण के साथ श्वास ग्रहण किया, दूसरे में श्वास छोड़ा, तीसरे में फिर ग्रहण किया, चौथे में छोड़ा, पांचवें के ‘णमो लोए' पद में श्वास ग्रहण किया और सव्व साहूणं में छोड़ा | तीसरी विधि में एक ही श्वास में पांचों पदों का स्मरण एक साथ किया जाता है विधियां मन को स्थिर बनाने में बड़ी सहयोगी बनती है । जिसको जो सुगम लगे उस विधि का प्रयोग किया जा सकता है । कई व्यक्ति हाथ में माला लेकर भी जप किया करते हैं। एक बार माला फेरने में १०८ बार मन्त्र का जाप हो जाता है। इसमें भी माला दाहिने हाथ में हृदय स्थल के निकट रखी जाती है । फिर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके अंगूठे और मध्यमा अंगुलि द्वारा मणकों पर मन्त्र का जाप किया जाता है। माला की अपेक्षा अंगुलियों के पोरवों पर मन्त्र के स्मरण को अधिक लाभकारी माना गया है अंगुलियों के बारह पोरवों पर नौ बार चक्राकार जप करने से १०८ बार मन्त्र जप हो जाता है । इसे एक नवकरवाली भी कहते हैं । तपन — मन्त्र का जप करते समय व्यक्ति को और किन बातों का ध्यान रखना I चार चाहिए । मुनि मतिधर - मन्त्र जप करते समय चित्त की स्थिरता का विशेष प्रयत्न होना चाहिए । इसके साथ समय और स्थान का भी विवेक रखना चाहिए । स्थान एकान्त व स्वच्छ होना चाहिए। जहां बच्चे खेलते हों, भोजन पकता हो, लोगों का आवागमन ज्यादा होता हो ऐसे स्थानों का वर्जन करना चाहिए | समय की दृष्टि से ब्रह्ममुहूर्त का समय अति उत्तम है । मन्त्र का अनुष्ठान गहरी निष्ठा और दृढ़ संकल्प पूर्वक करना चाहिए । इसके साथ नियमितता को भी नहीं भूलना चाहिए । ४१ Jain Education International . तपन – मुनिराज नमस्कार महामन्त्र के बारे में आपने विस्तार से समझाकर मुझे कृतार्थ किया । ऐसे महान् मन्त्र के प्रति मैं श्रद्धानत हूँ । मैं आपके वचनों को शिरोधार्य कर शीघ्र ही इस महामन्त्र के जप में लग जाऊंगा । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy