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________________ ६२ बात बात में बोध लेता । उसके गले पर चाकू का निशान भी पूर्वजन्म में हत्या की बात को प्रमाणित करता था। परिचित व्यक्तियों को देखकर खुशी या घृणा का भाव पैदा होता है उसके पीछे इस जन्म का कोई कारण हो सकता है किन्तु जो बिलकुल अपरिचित है उनके प्रति हर्ष, भय, घृणा आदि के संस्कारों का जागना पूर्वजन्म को मान्यता प्रदान करता है। दूसरा प्रमाण है-प्लेंचेट पद्धति । इस पद्धति के द्वारा मृतात्माओं से साक्षात् सम्पर्क किया जाता है। उन आत्माओं को बुलाकर तरह-तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नों के उत्तर सही और प्रामाणिक होते हैं । पाश्चात्त्य लेखकों द्वारा संकलित पुनर्जन्म सम्बन्धी घटनाओं के विश्लेषण से तीसरा प्रमाण हमें और उपलब्ध होता है। वह है-रुचि की विलक्षणता और असामान्य व्यवहार का होना । जसवीर नामक एक लड़के की घटना है। जाट कुल में जन्म लेकर भी वह ब्राह्मण की तरह खान-पान की शुद्धि का अधिक ध्यान रखता है। यहां तक कि अपने माता-पिता द्वारा बनाया भोजन भी नहीं खाता है। पूर्व जन्म में उसने स्वयं को ब्राह्मण कुल में उत्पन्न बताया। ब्राजील देश का पाउला नाम का बच्चा तीन-चार वर्ष की उम्र में सिलाई कला में विशेष दक्षता रखता है। वह अपने को पूर्वजन्म में एमिलिया नाम की लड़की जो सिलाई में दक्ष थी, बताता है । इन सब प्रमाणों से पुनर्जन्म और आत्मा की कालिकता स्वतः सिद्ध हो जाती है। महेन्द्र--पर, एक बात समझ में नहीं आती। आत्मा अगर कालिक है, अच्छी करणी के कारण स्वर्ग और बुरी करणी के कारण नरक आदि निम्न गतियों में जाती है तो मेरे पुरखे, जिनमें ज्यादातर धार्मिक हुए हैं, कोई स्वर्ग से आकर कभी मुझे मार्गदशन तो नहीं करते । मेरे काकाजी कट्टर नास्तिक थे, आपके हिसाब से वे नरक में गए हैं, कभी आकर मुझे सावधान तो नहीं करते । मुनिराज-महेन्द्र ! यही प्रश्न महामुनि केशी से राजा प्रदेशी ने पूछा था। महेन्द्र-उन्होंने उसका क्या उत्तर दिया ? मुनिराज-केशी स्वामी ने कहा-राजन् ! तू स्नान करके बढ़िया वस्त्र पहनकर किसी विशेष कार्य के लिए प्रस्थान करे, उस समय अगर तुमको कोई शौचालय का निरीक्षण करने बुलाए तो क्या तुम जाना चाहोगे ! प्रदेशी ने कहा- नहीं, बिलकुल नहीं जाऊंगा। इस पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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