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________________ विश्वास इन वर्षों में हमारे संघ में प्रभूत साहित्य का निर्माण हुआ है, यह एक गौरव का विषय है। यद्यपि कुछ साहित्य मौलिक है तथा कुछ उपजीवी है। पर, विधाओं का भी अच्छा विकास हुआ है। एक ही बात को एक ही प्रकार से कहने सुनने से कुछ नीरसता आ सकती है, पर अलग-अलग विधाओं में एक ही तथ्य को बार-बार कहने-सुनने से ऊब नहीं आती। यों जैन-धर्म दर्शन पर हमारे यहां ऐसे अनेक महत्त्वपूर्ण शलाकाग्रन्थों की सर्जना हुई है जो मील के पत्थर बन गए हैं । ऐसे भी अनेक ग्रंथ लिखे गए है जो साधारण आदमी के लिए सुगम्य बन गये हैं। "बात-बात में बोध" पुस्तक में मुनि विजय कुमारजी ने जैन तत्त्व को संवादशैली में एक नये प्रकार से प्रस्तुत किया है। छात्र वर्ग को इसमें विशेष दिलचस्पी पैदा हो सकेगी, ऐसा विश्वास है। मुनिजी ने इस शैली में दुरुह तथ्यों को भी इतनी सुगमता से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है कि वह थोड़े पढ़ेलिखे लोगों को भी समझ में आ सके । यों जैन तत्त्व ज्ञान बहुत गरिष्ठ है । उसे चबाना-पचाना हर एक के वश की बात नहीं है, पर कथोपकथन की शैली में प्रस्तुत इस पुस्तक में उसे इतने सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि जिज्ञासा का सिलसिला निरन्तर बना रहता है। आज देखा जाता है कि किशोरनवयुवक वर्ग तत्त्व ज्ञान से बहुत अपरिचित होता जा रहा है। इसके कई कारण है । पहले तो साधु-साध्वियों का सम्पर्क बराबर मिलता रहता था, अतः बच्चे सहज ही अपने पारम्परिक मूल्यों से परिचित हो जाते थे। आज बहुत सारे लोग बहुत दूर-दूर प्रांत-प्रदेशों में रहने लगे हैं। उनका साधु-संतों से सम्पर्क बहुत ही अल्प रह गया है। इसके साथ-साथ अन्य धर्म-सम्प्रदायों के लोग भी अपने साहित्य को इस तरह फेंक रहे हैं कि वह सब लोगों के लिए बहुत सुलभ हो गया है। ऐसी स्थिति में दूसरे लोगों के संस्कार अनायास ही हमारे किशोरों पर सवार हो जाते है। दूरदर्शन के प्रचलित हो जाने के बाद तो हमारे मौलिक संस्कारों पर इतना जोरदार आक्रमण हो रहा है कि उस दिशा में सावधान नहीं हुआ गया तो हो सकता है कि हम पिछड़ जायें । ऐसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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