________________
( ४५२ ) ही कह सकते हैं, परन्तु भिक्षु तथा उपासकों के पालनीय धर्माचरणों में आकाश पाताल जितना अन्तर पड़ गया है इसमें कोई शङ्का नहीं । बुद्ध गृहस्थ धर्मी उपासकों को कहते थे कि किसी प्राणी को न मारो, न मरवात्रो, न मारने वालों को अच्छा जानो।
आज के चायनीज् , जापानीज , ब्राह्मी, सिंहली आदि बौद्ध उपासक भगवान बुद्ध की उक्त आज्ञाओं को कहां तक पालते हैं इसका खुलासा उक्त उपासकों का जीवन व्यवहार ही दे रहा है ।
बौद्ध भिक्षुओं के लिये बुद्ध ने जूता तक पहनने की मनाही की थी, और भिक्षु को पाद विहार से भ्रमण करने का विधान किया था । पर आज का बौद्ध भिक्षु बूट और जूते पहन कर मोटरों रेल गाडियों और वायुयानों में बैठ कर मुसाफिरी करते हैं। ___ बौद्ध भिक्षुओं को सोना चान्दी आदि द्रव्य रखने का बुद्ध ने सर्वथा निषेध किया था, पर आज के बौद्ध भिक्षु यथेष्ट सम्पत्ति रखते और बैंकों में जमा कराते हैं।
बुद्ध ने भिक्षु को अपने पास वस्त्र पात्रादि कुल मिला कर आठ वस्तुएं रखने का आदेश दिया था। आज के भितु इस नियम की पावन्दी रखते हैं क्या ? बुद्ध ने किसी भी पशु पक्षी को रखना पालना भिक्षु के लिये निषिद्ध किया है। आज के वौद्ध भिक्षु इस नियम को पालते हैं क्या ? इत्यादि अनेक बातों पर विचार करने से हमें यह शङ्का होती है कि बुद्ध ने जिस प्रकार के धर्म का उपदेश दिया था, उस प्रकार का धर्म आज शायद संसार में नहीं रहा ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org