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चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार ईसा की पहली शताब्दी में हुआ परन्तु वह चौथी शताब्दी तक राजधर्म नहीं हुआ था और जो पुस्तकें उस समय चीन के यात्री लोग भिन्न भिन्न शताब्दियों में भारतवर्ष से ले गये थे उस में भारतवर्ष के बौद्धधर्म के सब से प्राचीन रूप का वृत्तान्त नहीं है । बौद्धधर्म का प्रचार जापान में ईशा की पांचवीं शताब्दी में और तिब्बत में सातवीं शताब्दी में हुआ | तिब्बत भारतवर्ष के प्राथमिक बौद्ध धर्म से बहुत दूर है । और उसने ऐसी बातों और ऐसे विधानों को ग्रहण किया है जो गौतम तथा उसके अनुयायियों को विदित नहीं थे ।
महायान की शुरूआत
ईसवी सन् अष्टोत्तर के आस पास चीन स्थित बौद्धों ने बौद्ध धर्म में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया । पाली बौद्ध साहित्य को उन्होंने संस्कृत भाषा में अनुवादित कर दिया, इतना ही नहीं ललित विस्तर आदि अनेक मौलिक ग्रन्थों का भी निर्माण किया । भगवान् बुद्ध के उपदेशों का सारांश अहिंसक बर्त्तन और मानसिक वाचिक, कायिक दोषों की विशुद्धि और ध्यान द्वारा आत्मशुद्धि करने का था, उसको गौण बनाकर चीनी बौद्धों ने उपासना मार्ग को महत्त्व दिया। वे स्तुति स्तोत्रों द्वारा बुद्ध मूर्ति की स्तुति तथा प्रार्थना करके अपने धार्मिक जीवन को सफल मानने लगे । बुद्ध के शिक्षा पद भिक्षुओं के आचार और गृहस्थों के पञ्चशील आदि मौलिक उपदेश मूल ग्रन्थों में ही रह गये । इस प्रकार के उपासना
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