________________
( ४१६ )
अर्थात् - हे राम ! अहिंसा, सत्यवचन, प्राणियों पर दया और सहानुभूति ये गुण जिस मनुष्य में होते हैं उस पर भगवान केशव ( श्री विष्णु ) सदा प्रसन्न रहते हैं । जो मनुष्य अपने माता पिता गुरुओं के साथ सद्व्यवहार करता है और शराब तथा मांस का त्यागी होता है उस पर केशव सदा खुश रहते हैं । हे भार्गव ! जो मानव सूअर आदि स्थलचर और मत्स्य आदि जलचर प्राणियों का मांस नहीं खाता तथा मद्यपान नहीं करता उस पर केशव सदा संतुष्ट रहते हैं ।
( श्री विष्णु धर्मोत्तर खण्ड १ अध्याय ५० पू० ३४ )
श्री मार्कण्डेय ऋषि राजा वज्र से कहते हैंमानवस्यास्वतन्त्रस्य गो-ब्राह्मण - हितस्य च । मांस भक्षण- हीनस्य सदा सानुग्रहा ग्रहः ||१२|| अर्थात् गुरुओं के आज्ञाकारी, गौ ब्राह्मरण के हितकारक और मांस भक्षण से दूर रहने वाले मानव पर सभी ग्रह सदा अनुकूल रहते हैं ॥ ११ ॥
( श्री वि. ध. खं. १ . १०५ ० ६५ )
गवां प्रचार भ्रमिं तु वाहयित्वा हलादिना । नरकं महदाप्नोति यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥ १८ ॥ गौवधेन नरो याति नरकानेकविंशतिम् । तस्मात् सर्व प्रयत्नेन कार्यं तासां तु पालनम् ॥ १६ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org