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२०४
२१३
अश्वमेध प्रारमङ्ग अतिरक्त कलिक धम्मानुरणहो मज्झम-निकाय निम्नलिखिस धम्मदायाद मैं भीलों का देश धर्म के मजिमझ
अश्वमेध प्राण्यङ्ग अतिरिक्त
कुलिक धम्मानुग्गहो मज्झिम-निकाय
निम्नलिखित १५,१६,१७, धम्मदाया मैं भी लोका देश
आमिष के
२१७
२१८
मझिम
२२०
मैं अनुसन्धित क्षुधा के अनुसार जितने की आवश्यकता थी उतना आहार लिया था।
भूचना
२२२
सूचन
२२६ २२७
कैसा जेन करंतमपि स्थानीय दानाओ कुव्वन्तमप्यन्न होता
जैन करतंपि स्थापनीय
दाणाओ कुर्वन्तमप्यन्यं
१६
२२७ २२७ २२६
२१
होती
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