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प्रकाशकीय-निवेदन पाठक-गण यह जानकर प्रसन्नता का अनुभव करेंगे कि पं० श्री कल्याणविजयजी गणिवर के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ "जैन कालगणना" "श्रमण-भगवन्-महावीर" "कल्याण-कालिका” के प्रकाशित होने के बाद आज "मानव भोज्य-मीमांसा" ग्रन्थाशित हो रहा है। इसका तृतीय अध्याय जो डेढ़ वर्ष पूर्व प्रकाशित हुआ था, उसे पढ़कर अनेक विद्वान् पाठकों ने इस सम्पूर्ण ग्रन्थ को जल्दी प्रकाशित करने का आग्रह किया था, हमारी इच्छा भी इस ग्रन्थ को सत्वर प्रकाशित करने को थी फिर भी प्रेसादिके प्रमाद से इसके प्रकाशन में धारणा से कुछ अधिक विलम्ब हो गया है, इसके लिए पाठक महोदय क्षमा करेंगे। ___संवत् २०१४ की मार्गशीर्ष शुक्ला षष्ठी को पंन्यासजी महाराज, विद्वान् श्री सौभाग्य विजयजी महाराज, मुनिवर श्री मुक्ति विजयजी महाराज, द्वारा श्रोटवाला स्थान के जैन-मन्दिरजी की प्रतिष्ठा निर्विघ्न सम्पन्न हुई, उसकी स्मृति में कोई उपयोगी ग्रन्थ प्रकाशित कराने की वहाँ के जैन-संघ ने अपनी इच्छा व्यक्त की थी जब "मानव-भोज्य-मीमांसा" तय्यार होने की खबर मिली तब
ओटवाला के जैन-श्रावक संघ ने इस कार्य में हाथ बटाने के लिए समिति के पास तीन हजार रुपया भेज दिया, इसके लिए समिति प्रोटवाला-जैन-संघ को धन्यवाद देती है, और उक्त सहायता से प्रोत्साहित होकर यह निर्णय करती है कि 'मीमांसा' की शताधिक
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