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________________ ( ३४६ ) अपने नियम पालन के उपरान्त दार्शनिक चर्चाओं में काल व्यतीत करते हैं। ब्राह्मण गृहस्थ होने के कारण गृह व्यवस्था तो करता ही है, परन्तु इसके अतिरिक्त वह वैदिक धर्म की सेवा भी सर्वाधिक करता है । वेदों का अध्ययन अध्यापन, वेदोक्त धार्मिक अनुष्ठानों का करना करवाना, और अपनी धार्मिक संस्कृति का प्रचार ये सब ब्राह्मण पर ही अबलम्बित हैं। __ वेदों, ब्राह्मणों, श्रौतसूत्रों, धर्मसूत्रों गृह्यसूत्रों, स्मृतिशास्त्रों और पुराणों के रचयिता ब्राह्मण ही हैं । वर्तमान वैदिक-साहित्य में से यदि ब्राह्मण कृतियों को पृथक कर दिया जाय तो पीछे क्या रहेगा इस का विद्वान् पाठक गण स्वयं विचार कर सकते हैं । आज के अदूरदर्शी कतिपय विचारक विद्वानों की दृष्टि में ब्राह्मण स्वार्थी प्रतीत होता है। वे कहते हैं ऊँच नीच का भेद ब्राह्मणों ने ही बताया है, और इस प्रकार आप सर्वोच्च बन कर दूसरी जातियों से अपना स्वार्थ सिद्ध करने की चाल चली है। हमारी राय में ब्राह्मण पर किये गये उक्त प्रकार के आक्षेप कुछ भी प्रामाणिकता नहीं रखते । ____ अपने मुख से अपना गौरव बताने वाला कभी गौरव प्राप्त नहीं कर सकता। गौरव उसी को मिलता है जो गौरवाह होता है। विद्यापठन और पाठन, धार्मिक अनुष्ठान करना और करवाना, पात्र को देना और स्वयं पात्र बनकर लेना, ब्राह्मणों को इन Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003119
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1961
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size19 MB
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