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( ३३६ ) लिखा है, उससे पाठकगण यत्किञ्चित् जानकारी प्राप्त करेंगे तो लेखक अपना परिश्रम सफल हुआ मानेगा ।
निर्ग्रन्थश्रमणाचार-तपोविधि-निरूपकः । मानवाशनमीमांसाध्यायः पूर्णश्चतुर्थकः ।।
इति निर्ग्रन्थश्रमणाचारख्यापकश्चतुर्थोऽध्यायः ।
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