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३, ५, २, तथा ३, ५, २, ४, १, तथा २, ४, १, ३, ५, और १, ३, ५, २, ४, उपवास और पारणा करेगा।
इस तप की तीसरी परिपाटी में ३, २, १, ५, ४, तथा १, ५, ४, ३, २, तथा ४, ३, २, १, ५, तथा २, १, ५, ४, ३, और ५, ४, ३, २, १, उपवास और पारणा करेगा।
इस तप की चौथी परिपाटी में ३, १, ४, २, ५, तथा २, ५, ३, १, ४, तथा १, ४, २, ५, ३, तथा ५, ३, १, ४, २, और ४, २, ५, ३, १, उपवास करके पारणा करेगा।
महा सर्वतो भद्र तप? महा सर्वतोभद्र तप का भी क्रम लघु सर्वतो भद्र के जैसा ही है । लघु की एक पंक्ति में पांच अङ्क होते हैं, तब इस "महासर्वतो भद्र" की एक पंक्ति में सात अङ्क रहते हैं । उसमें एक पंक्ति के अङ्कों की जोड़ पन्द्रह है, तब इसकी एक पंक्ति के अङ्कों की जोड़ अठाईस होते हैं। इस कारण इसकी एक परिपाटी के तपोदिन एक सौ छयानवें और पारणा के दिन उन पचास मिलकर कुल दिन दो सौ पैंतालीस होते हैं । जो महीनों में आठ मास पांच दिन के बराबर होते हैं, और चारों परिपाटियों का समय दो वर्ष
आठ मास बीस दिन होता है। ___ महासर्वतोभद्र तप करने वाला प्रथम १, २, ३, ४, ५, ६, ७, उपवास करके फिर ४, ५, ६, ७, १, २, ३, फिर ७, १, २, ३, ४,
१. ग्रन्थान्तर में इस तप का नाम "महा प्रतिमा" लिखा मिलता है।
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