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________________ १६-ज्येष्ठा को मधुष्टिं चबा कर भोजन करके कार्य सिद्ध करते हैं १७----(मूल) इसका भोजन सूत्र में नहीं मिलता) १८-पूर्वाषाढा के दिन हो आंवले खाकर कार्य सिद्ध करते हैं । १६-उत्तराषाढा को वला के बीजों को चबा कर भोजन करके कार्य सिद्ध करते हैं। २०-अभिजित् को गुलकन्द के साथ खाना खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २१-श्रवण को दूध के साथ खाना खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २२-(धनिष्ठा का भोजन सूत्र में नहीं मिलता है) २३-शतभिषा के दिन तुअर को खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २४ - पूर्वा भाद्रपदा के दिन करेलों के साथ भोजन करके कार्य सिद्ध करते हैं। २५--उत्तरा भाद्रपदा को सकर कन्द का पक्कान्न खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २६-रेवती के दिन जलकर नामक वृक्ष के सार से मिश्रित पक्वान्न खाकर कार्यसिद्ध करते हैं। २७-अश्विनी के दिन अश्वगन्धा चूर्ण डालकर बनाया हुआ मिष्ठान्न खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। २८-भरणी को तिल के दाने डालकर बनाया हुआ खाना खाकर कार्य सिद्ध करते हैं। मार्जारकृत कुक्कुट मांस क्या था ? भगवान महावीर ने अपनी बीमारी की अन्तिम हालत में अपने शिष्य सिंहमुनि को में ढिय माम निवासिनी रेक्ती नामक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003119
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1961
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size19 MB
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