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________________ ( १४२ ) "आमिषं पले ॥१३३०।। सुन्दराकाररूपादौ सम्भोगे लोभलञ्चयोः" "अनेकार्थ" अर्थः-आमिष का अर्थ मांस. सुन्दराकार रूप आदि, सम्भोग लोभ और रिश्वत होता है। "लोभे कामे गुणे, रूपे आमिषाख्या च भोजने' "अनेकार्थ" अर्थ:--लोभ में, काम गुण में, रूप में, और भोजन में, आमिष यह नाम प्रयुक्त होता है । कुक्कुटी शब्द से वर्तमान समय के विद्वान मात्र मुर्गी का ही बोध करेंगे। किन्तु इस शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है. सो तो कोशों से ही प्रतीत होगा । जैसे:-- शाल्मलौ तूलनी मोचा पिच्छिला विरजा विता । कुक्कुटी पूरणी रक्त-कुसुमा धुण-वल्लभा ॥६७॥ निघण्टु-शेषे । अर्थः- तूलिनी, मोचा, पिच्छला, विरजा, विता. कुक्कुटी, पूरणी, रक्तकुसुमा, घुणबल्लभा ये शेमल वृक्ष के नाम हैं । जिनमें कुक्कुटी मुर्गी का प्रति रूपक जैसा दीखता है। __मार्जार नाम बिल्ली का ही प्रसिद्ध है, फिर भी यह पहले हिंगोट और अगस्त्य से अर्थ में भी प्रयुक्त होता था । जैसे: "इगुद्यां तापसतरुर्मार्जारः कष्टकीटकः ।" "निघण्टु शेषः" अर्थः-तापसवृत्त, मार्जार और कष्टकीटक ये हिंगोट वृक्ष के नाम हैं। अगस्त्य मुनि-मार्जारावगस्तिर्वङ्ग सेनकः । “वैजयन्ती" Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003119
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1961
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size19 MB
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