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अर्थ- गुड अथवा खांड से बनाया हुआ तिलों का पिष्ट पलल कहा जाता है, यह मल वृद्धि कारक, पुष्टिकारक, वातनाशक, कफ पित्त करने वाला, शक्तिदायक, गुरुपाकी, चिकना, और मूत्राधिक्य को दूर करने वाला होता है ।
कीनाश शब्द हजारों वर्ष पहले केवल कर्षक के अर्थ में प्रच लित था। परन्तु धीरे धीरे इसकी कुक्षि में अनेक वाच्यार्थ भर गये और आज यह शब्द चार अर्थ का वाचक बन बैठा है। जैसे
कीनाशो रजसि मे कदर्ये कर्षकेऽर्थवत् ॥
( वैजयन्ती ) अर्थ - कीनाश शब्द राक्षस, यम, कृपण, और कर्षक का वाचक है । और इसका लिङ्ग वाच्यार्थ के अनुसार होता है ।
अनिमिष शब्द से आज कल के विद्वान् केवल मत्स्य को ही समझ लेते है, परन्तु अनिमिष शब्द की कुक्षि में कितने अर्थ भरे हुए हैं, इसका वे कभी विचार नहीं करते ।
अनिमिष शब्द केवल मत्स्य का वाचक नहीं, पर यह नीचे लिखे अनुसार पांच अर्थ बताता है । जैसे
थामरे झषे । अनिमेषोऽप्यनिमिषोऽप्यथ चाण्डालशिष्ययोः ।
स्यादन्तेवासिनि !
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"वैजयन्ती "
अर्थ:-अनिमेष तथा अनिमिष शब्द देव, मत्स्य, चाण्डाल,
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