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________________ ( १२२ ) मिलता है। परन्तु इसमें मांस के पर्याय नामों का उल्लेख दृष्टिगोचर नहीं होता। ____ अथर्ववेद संहिता में मांस शब्द के उपरान्त पिशित और क्रविष् ये दो इसके पर्याय मिलते हैं। ___ अथर्ववेद संहिता में यद्यपि गोमेधयज्ञ का वर्णन मिलता है, परन्तु वहां पर शतौदना अथवा वशा ( वन्ध्या गौ) की प्रशंसा के पुल बांधे गये हैं। उसके शरीर के एक एक अवयव को आमिक्षा कहा गया है, यहां तक कि उसके सींग, खुर, पसलियां हड्डियां, चर्म, रोम, बाल आदि को आमिक्षा मान कर उसकी भूरि भूरि प्रशंसा की गयी है । और इस वर्णन से तो यही ध्वनित होता है कि अथर्व वेद के समय में शायद गोमेध भूतकाल के इतिहास में रह गया था। क्यों कि इसी अथर्व के अन्य उल्लेखों से स्पष्ट होता है कि उस समय गौ अवध्य और अभक्षणीय मानी जाती थी। "ब्रह्मगत्री पच्यमाना, यावत् साभिविजङ्गहे । तेजो राष्ट्रस्य निर्हन्ति, न वीरो जायते वृषा ।। करमस्या आशंसनं तृष्ट पिशितमश्यते । क्षीरं यदस्याः पीयेत तद्वै पितृषु किल्विषम् ॥" (अथर्व संहिता. पञ्चम काण्ड, सू० १६, ऋ.४ अर्थः-पकायी जाने वाली ब्रह्म गवी (भद्र स्वभाव की अथवा ब्राह्मण की ) गौ जब तक बह स्मरण द्वारा दृष्टि के सम्मुख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003119
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1961
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size19 MB
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