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के लोग सुअर नहीं पालते । बाजार में मांस और मादक द्रव्य की दुकानें भी नहीं हैं । व्यापार के हेतु यहां के निवासी कौड़ी का व्यवहार करते हैं । केवल चाण्डाल मात्र ही मांस मछली मारते और शिकार करते हैं ।
[ फाहियान पृष्ट २६-२७ ] गोपथ ब्राह्मण के निम्न अवतरण में भारत के उदीच्य देशों को भोजी लिखा है ।
विचारीहवे काबन्धकिः कबन्धस्याथर्वणस्य पुत्रो मेधावीमीमासकोऽनूचान आस । स ह स्वेनातिमानेन मानुषं वित्तं नेनाय । तं मातोवाच त एतदन्नमवोचंस्त इममेषु कुरुपञ्चालेषु गमगधेषु काशिकौशल्येषु शाल्वमत्स्येषु शवसउशीनरेषु उदीच्येष्वन्नमदन्ति | अथ वयं तवैवातिमानेनाद्यास्मो वत्स वाहनमन्विच्छेति ।
जैन सूत्रों तथा पौराणिक ग्रन्थों में भी भारतवर्ष का उत्तरीय भाग आर्य भूमि होने का और इसके चारों ओर अनार्यों की वस्ती होने का प्रतिपादन किया है।
उपयुक्त लेख विवरण से यह बात निश्चित है कि मध्य एशिया के आर्य भारत में नहीं आये । यदि वे मध्य एशिया के आर्य पश्चिम की तरफ दूर तक गये हों तो असम्भव नहीं, भारत के चार्य न कहीं भारत के बाहर आक्रमण करने गये, न भारत के बाहर के आर्यों ने कभी भारत पर आक्रमण किया । यह बात सत्य है कि भारत के बाहर के अनार्यों ने भारत पर आक्रमण अवश्य किये थे परन्तु या तो वे यहां से हार कर वापस लौटे, अगर यहां रहे तो यहां की सभ्यता को स्वीकार कर आर्यों में मिल गये ।
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