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( ४६ ) "मांस अप्राकृतिक भोजन है। इसीलिये शरीर में अनेक उपद्रव करता है। आजकल का सभ्य समाज इस मांस के खाने से कैन्सर, क्षय, ज्वर, पेट के कीडे आदि भयानक रोगों से जो एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलते हैं, बहुत अधिक पीड़ित होता है इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि मांसाहार उन भयानक रोगों के कारणों में से एक कारण है जो १०० में निन्यानवे का सताते हैं।"
"मांसाहार-विचार" "ऐसे सिलपेस्टर, ग्रेहम, ओ. एस. फोल्डर, जे. एफ न्यूटन, जे० स्मिथ, डा० ओ. ए. अलक्ट हिडकलेण्ड, चीन, लेम्ब वकान, ट्रजो, ओलास, पेम्वरटर्न, हाईटेला इत्यादि कई डाक्टरों, प्रवीण चिकित्सकों ने अनेक दृढतर प्रमाणों से सिद्ध किया है कि मांसमछली खाने से शरीर व्याधि-मन्दिर होजाता है। यकृत, यक्ष्मा, राज यक्ष्मा, मृगी, पादशोथ, वात रोग, संधिवात, नासूर और क्षय रोग आदि रोग उत्पन्न होते हैं । प्रशंसिल डाक्टरों ने प्रत्यक्ष उदाहरण द्वारा यह प्रगट किया है कि मांस मछली खाना छोड देने से मनुष्य के उत्कट रोग समूल नष्ट होगये हैं वे दृष्ट पुष्ट हो जाते हैं, डा० एस० ग्रहेमन, डब्ल्यू एस० फूलर, डा. पार्मली लेम्ब, क्यानिस्टर बेलर, जे पोर्टर, ऐ० जे० नाइट, और जे. स्मिथ इत्यादि डाक्टर स्वयं मांस खाना छोड़ देने पर यक्ष्मा, अतिसार अजीर्णता और मृगी रोगों से विमुक्त होकर सबल और परिश्रमी हुए हैं । इसी प्रकार उन्होंने अन्य रोगियों को मांस छुडाकर अच्छा तन्दुरुस्त किया है एवं कई डाक्टरों ने अपने परिवार में मांस खाना छुडा दिया है।"
"मांसाहार विचार"
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