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________________ सही उत्तर होगा-उन्होंने ध्यान के लिए तपस्या की। भगवान ने सोलह दिन-रात तक ध्यान किया-चार दिन पूर्व दिशा की ओर अभिमुख होकर, चार दिन दक्षिणाभिमुख, चार दिन पश्चिमाभिमुख और चार दिन उत्तराभिमुख। जो इस प्रकार ध्यान करेगा; वह क्या खाएगा, क्या पीएगा, क्या बोलेगा? खाए-पीए बिना उत्सर्ग भी क्या करेगा? आज लोगों ने भगवान की तपस्या को पकड़ लिया, परन्तु ध्यान को छोड़ दिया। उस समय भारत पर अंग्रेजों का राज्य था। एक अंग्रेज कलेक्टर शिकार करने गया। चलता-चलता भटक गया। भूख लग गई। एक झोंपड़ी दिखाई दी। उसके पास गया। भीतर महिला थी। उसे हाथों से संकेत किया। उसने रोटी पर थोड़ा-सा साग रखकर उसके हाथ में रख दिया। कलेक्टर ने साग खा लिया और रोटी को तश्तरी समझकर फेंक दिया। रोटी है ध्यान और साग है तपस्या। आज की तपस्या में रोटी फेंक दी जाती है। उपवास अच्छा है, पर उस तपस्या का अधिक महत्त्व है जो ध्यान का स्वाध्याय के साथ की जाती है। पहले श्रावक पौषधशाला में जाकर उपवास और पौषध करते थे। आजकल घर में ही करते हैं। तपस्या में समय अधिक मिलता है, इसलिए भाई-बहिन, घर और दुकान का सारा काम उसी दिन निपटाते हैं। कई भाई तो उपवास में ताश खेलकर समय को व्यतीत करते हैं। तब भला उनको उपवास से आत्मशांति कैसे मिले? उपवास में आत्मालोचन, स्वाध्याय और ध्यान होना चाहिए। इस पद्धति से दो उपवास भी करेंगे तो अधिक लाभ होगा। भगवान महावीर ने हर प्रवृत्ति के साथ सम्यक् शब्द जोड़ा। ३८ म धर्म के सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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