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की अनुभूति नहीं हो रही है ।
सम्बन्ध के योग
आत्मा अकेली है। उसका कोई नहीं है । यह निश्चय नय की बात है । व्यवहार में आदमी सम्बन्ध जोड़ता है पहले शरीर के साथ सम्बन्ध जोड़ता है । फिर जाति, परिवार, समाज और देश के साथ सम्बन्ध जोड़ता है । आजकल अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी सम्बन्ध जुड़ने लगा है। उस सारे संबंधों के मूल में अहिंसा का विकास है ।
सहिष्णुता
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अहिंसा के विकास के बिना स्वस्थ नहीं रह पाते और उसके लिए अहिंसा का विकास करना जरूरी है । अहिंसा के विकास के लिए शक्ति का होना जरूरी है । अहिंसा के विकास के लिए सहिष्णुता का होना जरूरी है । सहिष्णुता का अर्थ है - एक-दूसरे की कमजोरियों को सहन करना । परिवार में दस व्यक्ति होते हैं । सब सकाम नहीं होते । किसी में कोई कमजोरी होती है, किसी में कोई । कोई गुस्सा अधिक करता है तो कोई आलसी होता है। एक-दूसरे की कमजोरी सहन न करे तो परिवार शान्ति से चल नहीं सकता । अहिंसा का अर्थ है - दूसरों को क्षमा करो ।
शान्त सहवास
कोई भी पूर्ण नहीं होता। मैं भी नहीं हूं । मेरी कमजोरी को वे सहन करें और उनकी कमजोरी को मैं सहन करूं । शान्त सहवास तभी हो सकता है जब एक-दूसरे की कमजोरी को सहन
१७८८ धर्म के सूत्र
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