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________________ के लिए सोचा, उसने भाग्य की कुंजी अपने हाथ में ले ली। इसकी चर्चा हम 'सम्यक्दृष्टि' के अन्तर्गत कर चुके हैं। चारित्र सामायिक हमारे आचरण में समता आए। परिवार में समता का प्रयोग हो। आनन्द आएगा। पिता के चार पुत्र हैं। एक पर मोह करे और जो देना चाहे उसे ही दे तो घर में कलह हो जाएगा। सामायिक को रूढ़ मत बनाइए। सामायिक करने वाला किसी के साथ असमानता का व्यवहार नहीं करता। वह दूसरे के हक को नहीं छीन सकता। सामायिक का प्रतिबम्ब हमारे सामान्य जीवन में आना चाहिए। __ भिक्षु स्वामी ने तेरापंथ का विधान लिखा। उसकी विशेषता है कि उन्होंने समता को विधान का मूल आधार बनाया। एक पढ़ा-लिखा साधु है, दूसरा केवल संयम पालन करने वाला है। भिक्षा में यदि एक रोटी आती है तो दोनों साधु आधी-आधी कर लो। साधु सोते हैं, उसका भी क्रम है। हर वस्तु की मर्यादा है। सामायिक करने वाले सोचते हैं-सामायिक करेंगे तो परलोक सुधरेगा। वर्तमान यदि कलह, झगड़े में बीतता है तब परलोक कैसे सुधरेगा? सामायिक के समय शान्ति मिलनी चाहिए। उसका प्रभाव सारे दिन रहना चाहिए। हमने धर्म को काल-प्रतिबद्ध और क्षेत्र प्रतिबद्ध बना दिया। साधुओं के स्थान पर गए तब उसे धर्म का क्षेत्र मान लिया। घर में आए उस समय वह गृहस्थ का खाता है। क्या यह खाता लड़ने के लिए है? तब फिर एक मुहूर्त तक सामायिक की मेहनत ही क्यों की? दिन में १३८ । धर्म के सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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