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महावीर का पुनर्जन्म
तो न सिरदर्द होता है, न क्रोध और उत्तेजना सताती है। इस बिन्दु को पकड़ना लेश्या को पकड़ना है।
- शरीर और आत्मा का दूसरा संगम-स्थल है-नाभि-तैजस केन्द्र। नाभि न्यूक्लीयस केन्द्र होती है। नाभि का बहुत महत्त्व बतलाया गया है। कहा जाता है-नाभि टल गई, पेट में दर्द हो गया, शरीर में दर्द हो गया। अनुभवी लोग सबसे पहले यह देखते हैं-अमुक व्यक्ति बीमार है। उसकी नाभि टली है या नहीं? नाभि के टलने को ‘धरण' कहा जाता है। पेट की एक विशेष प्रकार से नाप-जोख कर यह निर्णय लिया जाता है-धरण है या नहीं? यदि धरण होती है तो सबसे पहले उसे ठीक किया जाता है। यह महत्त्वपूर्ण संगम-स्थल है।
शरीर और आत्मा का तीसरा संगम-स्थल है-आनंद केन्द्र। यह भी बहुत महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। इस पर रंगों का ध्यान करना लेश्या को विशुद्ध और पवित्र बनाना है। इन सब केन्द्रों पर सूर्य का ध्यान, चंद्रमा का ध्यान, चमकते सफेद रंग का ध्यान किया जाता है और इससे चैतन्य केन्द निर्मल बनते है। रंग : प्रशस्त भी अप्रशस्त भी
- ध्यान के ये सारे प्रयोग पौद्गलिक लेश्या से जुड़े हुए हैं। यदि हम अपनी वृत्तियों और भावनाओं को शुद्ध रखना चाहते हैं, अपनी चैतसिक लेश्या को पवित्र रखना चहते हैं तो हमें द्रव्य लेश्या की निर्मलता पर भी ध्यान करना होगा, निर्मल रंगों का ध्यान करना होगा। सब रंग एक जैसे नहीं होते। सफेद रंग भी एकं जैसा नहीं होता। वह प्रशस्त भी होता है, अप्रशस्त भी होता है। यदि सफेद रंग अप्रशस्त है तो वह अच्छा नहीं है। वही रंग अच्छा होता है, जो प्रशस्त होता है। हम प्रशस्त रंग का चुनाव करें। . न्यायालय में जज काला कोट पहनता है। वकील भी काला कोट पहनता है। न्यायालय परिसर में सब जगह काला रंग दिखाई देता है। काला रंग एकदम खराब नहीं होता। वह प्रशस्त भी होता है। काले रंग में यह विशेषता है कि वह प्रभावित नहीं होता। राजस्थान की प्रसिद्ध कहावत है-'काली कंबल पर रंग नहीं चढ़ता'। बहुत सारे रंग कमजोर होते हैं, उन पर दूसरे रंग चढ़ जाते हैं किन्तु जो काले रंग का होता है, उस पर दूसरा रंग नहीं चढ़ता। शायद इसीलिए न्याय के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए काले रंग का चुनाव किया गया, ताकि न्यायाधीश निष्पक्ष रह सके, सामने आने वाले दबावों से अप्रभावित रह सके। वकील को भी निष्पक्ष रहना चाहिए। न्यायालय निष्पक्षता का स्थान है। उससे जुड़े हुए व्यक्ति के लिए काले रंग का चुनाव इसी दृष्टि से किया गया होगा। रंग : व्यवसाय विज्ञापन का
- आजकल आम आदमी भी रंग के चुनाव पर बहुत ध्यान देता है। वह कोई भी ड्रैस खरीदता या सिलवाता है तो इस बात पर ध्यान देता है कि ड्रेस की मैचिंग ठीक है या नहीं। आजकल इस क्षेत्र में न जाने कितने सलाहकार और परामर्शक हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां और विज्ञापनदाता उनसे सलाह लेते हैं।
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