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जहां निरपराध को दंड मिलता है
चिंतन के क्षेत्र में एक नई शाखा का विकास हुआ है - 'थिंकिंग', कैसे सोचें ? सोचने का तरीका सही होना चाहिए। बहुत बार सही चिन्तन न होने के कारण जाने-अनजाने गलत आचरण और गलत व्यवहार हो जाता है। चिन्तन सही नहीं होने से निर्णय भी सही नहीं होता। सही निर्णय के अभाव में व्यक्ति गलत आचरण कर लेता है । 'कैसे सोचें' इसका एक उदाहरण नमि राजर्षि के जीवन वृत्त में मिलता है ।
ब्राह्मण ने कहा - 'राजर्षि! आप दीक्षित हो रहे है, मुनि व्रत को स्वीकार कर रहे हैं पर जाते-जाते आप एक काम तो कर जाएं ।'
राजर्षि ने पूछा- कौन - सा काम ?'
ब्राह्मण ने कहा - 'देखें, आपके नगर में कितने चोर हैं? वे नाना प्रकार की कलाओं से चोरी करने वाले हैं ।'
चोरी की कई कलाएं होती हैं और आजकल इन कलाओं का विधिवत् प्रशिक्षण भी मिलता है।
एक कुशल जेबकतरा था । उसे न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया । न्यायाधीश ने पूछा- 'तुम यह काम कैसे करते हो?'
'न्यायाधीश महोदय ! यह कला ऐसे नहीं सिखायी जाती। आपको सीखना हो तो आप मेरे साथ कुछ दिन रहें। मैं आपको यह कला सिखा दूंगा। यह कला बड़ी विचित्र है ।'
'जेब काटना क्या कला है, लोग सावधान नहीं रहते हैं इसलिए तुम्हें मौका मिल जाता है ।'
'नहीं ! लोग बहुत सावधान रहते हैं । किन्तु यह मेरी कला है ।'
'कभी मेरी जेब काटना ।'
'ठीक है! आप सावधान रहना ।'
न्यायाधीश ने जेबकतरे को मुक्त कर दिया। तीसरे दिन ही न्यायाधीश की जेब कट गई। उसने जेबकतरे को बुलाकर पूछा - 'क्या तुमने मेरी जेब
काटी?"
'आप जाने ! मैं क्या जानूं ?"
'सच बताओं ।'
'महाशय ! मेरी यह कला है, सावधान तो आपको रहना था ।'
न्यायाधीश को कहना पड़ा - 'तुम बड़े दक्ष आदमी हो ।'
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