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१९ : सत्य की खोज
संपत्ति के साथ जुड़ी विपत्ति
आज हम हनुमानगढ़ आए हैं। हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर जिले का एक प्रमुख कस्बा है। इस इलाके के बारे में हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं कि यहां संपत्ति भी है और विपत्ति भी। यहां की धरती शस्यश्यामला है। समय पर वर्षा न होने पर भी नहरों से पानी पाकर वह सोना उगलती रहती है। इसलिए इस इलाके में रहनेवाले और विशेषकर यहां के किसान बहुत समृद्ध हैं, पर इस समृद्धि के साथ विपत्ति भी जुड़ी हुई है। लोगों में अध्यात्म और धर्म के प्रति अभिरुचि नहीं है। फलतः लूटखसोट, मार-काट और हत्या चलती रहती है । थोड़ी-सी टकराहट हुई कि आदमी आदमी को मारकर उसकी लाश नहर में बहा देता है। फिर वकील केस लड़ते रहते हैं।
कल हमने एक नई बात सुनी। फसल होती है, तब लोग पूछते हैं'फसल कितनी हुई?' उत्तर होता है- 'एक कत्ली जितनी ।' इसका अर्थ यह है कि एक कत्ल का केस सुलझाने में जितने पैसे लगता है, उतने पैसों की फसल हो गई। यह शब्दावली यहां के निवासियों की अध्यात्म-पराङ्मुखता का प्रतीक है।
अध्यात्म की यात्रा
अध्यात्म-विकास के बारे में हमारी लंबी परिचर्चाएं फिर होती रहेंगी, आज प्राथमिक रूप में थोड़ी-सी बातें बता रहा हूं। सबसे पहले आप यह न भूलें कि आप मनुष्य हैं। मनुष्य की विशेषताएं सृष्टि के अन्य सभी प्राणियों से अधिक हैं। और और प्राणियों की तो बात ही क्या, देवताओं को भी जो अप्राप्त हैं, उन विशेषताओं से संपन्न है यह मनुष्य ।
अपेक्षित है जीवन का यथार्थ मूल्यांकन
सौभाग्य से आपने यह अमूल्य निधि पाई, पर मैं पूछना चाहता हूं सत्य की खोज
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