________________
अनुक्रम
im
w
w
४१
४७
७९
९०
• ज्ञान एवं प्रमाण
१. ज्ञान की सीमायें और सर्वज्ञता की सम्भावनायें २. जैन-न्याय में हेतु-लक्षण : एक अनुचिन्तन
३. आगम का गंगावतरण ० तत्त्व-दृष्टि
४. जैन-दर्शन का वैशिष्ट्य ५. युक्त्यनुशासन का सर्वोदय-तीर्थ ६. जैन-दर्शन में अद्वैतवादी प्रवृत्तियां
७. जैन धर्म में आस्तिकता के तत्त्व • व्यवहार-दृष्टि : अहिंसा और अपरिग्रह
८. आधुनिक युग एवं अपरिग्रह ९. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याएं एवं आयारो १०. मानव समाज एवं अहिंसा ११. अपरिग्रह के बिना अहिंसा असम्भव १२. निरामिष आहार का दर्शन १३. निरामिष आहार और पर्यावरण ० समाज एवं संस्कृति १४. समन्वय की साधना में जैन-संस्कृति का योगदान १५. विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय १३. जनतन्त्र और अहिंसा १७. महावीर और गांधी ० जैन विश्वभारती का नख-शिख-दर्पण १८. जैन विश्वभारती की वर्णमाला १९. जैन विश्वभारती : अहिंसा की प्रतिध्वनि २०. जैन विश्वभारती बनाम जैन विश्वभारती ० परिशिष्ट
११० ११३ १२२
१२९ १३८
१५७
१६७
१७४ १८०-१८९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org