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आचरण के स्रोत
• मनोविज्ञान : आचरण के स्रोत
• सहजात
• अजित • जैन दर्शन : आचरण के स्रोत-दस संज्ञाएं • दस संज्ञाओं के तीन वर्ग
१. आहार संज्ञा, भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा, परिग्रह संज्ञा । २. क्रोध संज्ञा, मान संज्ञा, माया संज्ञा, लोभ संज्ञा ।
३. लोक संज्ञा, ओघ संज्ञा। • आचरणों का मूल स्रोत है-कर्म ।
ज्ञान और अध्यात्म दो हैं। दोनों ज़रूरी हैं। ज्ञान के बिना अध्यात्म का ग्रहण नहीं किया जा सकता और अध्यात्म में उतरे बिना ज्ञान की शुद्धता नहीं हो सकती। ज्ञान का प्रस्फुटन नहीं हो सकता। ज्ञान अध्यात्म को बढ़ाता है और अध्यात्म ज्ञान को नये-नये उन्मेष देता है। पश्चिम के दार्शनिकों ने मन का काफी गम्भीर अध्ययन प्रस्तुत किया है। उन्होंने मन के विषय में अनेक खोजें की हैं, मन का पूरा विश्लेषण किया है । मनोविज्ञान की एक पूरी शाखा विकसित हो गयी। प्रश्न होता है कि भारत के सत्यवेत्ताओं ने क्या मानसशास्त्र का अध्ययन नहीं किया था ? इस प्रश्न के उत्तर में हम दो शाखाओं पर ध्यान दें। एक है योगशास्त्र और दूसरी है कर्मशास्त्र।
योगशास्त्र साधना की व्यवस्थित पद्धति है। इसके अन्तर्गत मन का पूरा
आचरण का स्रोत : ६१
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