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________________ काले कालं समायरे आत्मा की प्रेक्षा के लिए दो समय बतलाए गए हैं-पूर्वरात्रि और अपररात्रि । सहज प्रश्न हो सकता है-ये दो ही क्यों बतलाए गए ? यह क्यों नहीं कहा गया-मध्याह्न में आत्मा को देखो, सांयकाल आत्मा का ध्यान करो। केवल दो समय का ही निर्देश क्यों दिया गया? आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो, इस सूत्र में एक भी अक्षर अनावश्यक हो तो प्रश्न उठ जाता है। काल से बंधे हैं हम सूत्र का मतलब है-सही सूचना देना । वैयाकरणों ने यहां तक मान लिया-एकमात्रालाघवेन वैयाकरणो पुत्रोत्सवं मन्यते-एक मात्रा भी कम होती है तो वैयाकरण पूत्र-जन्म जैसा उत्सव मनाते हैं। सूत्र में आधी मात्रा भी अधिक नहीं होनी चाहिए। इस स्थिति में पूर्वरात्र और अपररात्र-ये दो निर्देश क्यों दिए ? यह सूत्र सूचना देता है-हम काल से बंधे हुए हैं । हमारी सारी भावनाएं, सारी गतिविधियां एक चक्र के साथ चलती हैं । यदि कालचक्र को हम ठीक पकड़ नहीं पाते हैं तो हमारी सफलता में कमी रह जाती है । भगवान् महावीर ने कहा-मुनि समय पर बाहर जाए, समय पर लौट आए । वह अकाल का वर्जन करे । जो काम जिस समय करना हो, वह उसी समय करो-~ कालेण णिक्खमे भिक्ख, कालेण य पडिक्कमे । अकालं च विवज्जेत्ता, काले कालं समायरे ॥ जीवन की लय यह बहुत महत्त्वपूर्ण निर्देश है। प्राचीन साहित्य में इसकी अनेक व्याख्याएं हुई हैं । आज जैविक घड़ी के नाम से जो व्याख्या हुई है, वह बहुत ही अद्भुत है। जितनी स्वरोदय की व्याख्याएं हैं, वह उन सबको समर्थन दे रही है। यह हमारे जीवन की लय है। वैज्ञानिकों ने जीवन की लय पर बहुत लिखा है । हम उस लय के साथ-साथ चलें तो बहुत अच्छा १. दसवेआलियं ५/२/४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003088
Book TitleManjil ke padav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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