________________
कल्याणकारी भविष्य का निर्माण
१५१ यदि तुम अपनी शक्ति को जगाना चाहते हो तो शक्तिपात के चक्कर में मत पड़ो। यह जागेगी तो अपनी तपस्या से ही जागेगी। कष्ट सहे बिना कुछ भी नहीं जागेगा । कष्ट सहे बिना राष्ट्र का भी निर्माण नहीं होता। किसान और मजदूर कितना कष्ट सहते हैं, तब निर्माण होता है। जो आत्मा का निर्माण करना चाहता है, क्या वह आराम से बैठे-बैठे कर लेगा? क्या यह सम्भव है ? मनन के साथ जीएं.
महत्त्वपूर्ण सूत्र है सहिष्णुता। यह कोई विवशता या जबरदस्ती नहीं है । यह स्वेच्छा से अपने विकास के लिए स्वीकृत मार्ग है। आचार्य उमास्वाति ने लिखा-मार्ग से च्यवन न हो, मार्ग पर अबाध गति से चलते रहो और विकास हो इसलिए कष्टों को सहना है । यह क्षमा कल्याणकारी भविष्य का सृजन करेगी।
ये सूत्र हमारे कल्याणकारी भविष्य के निर्माण के लिए अत्यन्त महत्त्व के सूत्र हैं। इन सभी सूत्रों का गहराई से मनन करें, निश्चित ही हमारा भविष्य उज्ज्वल होगा। हम उज्ज्वल भविष्य की कामना करें, कल्पना करें, इन सूत्रों का मनन भी करें । पशु भी जीता है, पक्षी भी जीता है, पेड़पौधे भी जीते हैं, मनुष्य भी जीता है पर मनुष्य का महत्त्व क्यों है ? इसलिए है कि मनुष्य मनन करता है। जो मनन के साथ नहीं जीता, उसका कोई मूल्य नहीं होता। हम अपने जीवन को मनन के साथ जीएं । हमारा वर्तमान ही नहीं, भविष्य भी कल्याणकारी होगा ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org