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ग्यारह
• प्रस्तुत पुस्तक 'मंजिल के पड़ाव'
चंचल मन को देगी ठहराव आगम आधारित प्रवचन महाप्रज्ञ का अभिनव सृजन अवतरित है शाश्वत सत्य युगभाषा में अनुपम तथ्य इसमें विश्लेषित है मंजिल छुएगी पाठक का दिल संकेत है पड़ावों का
समाधान है बाधाओं का । • हम पढ़ें 'मंजिल के पड़ाव'
होगा नया प्रयाण मंजिल का बोध आत्मा को शोध यही चाहते हैं महाप्रज्ञ बने हम अपने विशेषज्ञ ।
दीपावली २५-१०-९२ जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.)
मुनि धनंजयकुमार
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