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________________ मनोभाव कैसे जानें ? ७६ कन्फ्यूशियस से पूछा गया - सेना में अनिवार्य भर्ती हो रही है और तुम इस अवसर पर लंगड़ाने लगे हो, चोटग्रस्त हो गए हो, यह अच्छा हुआ, अन्यथा तुम्हें भी सेना में भर्ती होना पड़ता । कन्फ्यूशियस ने कहा -- मैं नहीं कह सकता कि अच्छा हुआ या बुरा हुआ, क्योंकि पूरा चित्र मेरे सामने नहीं है । केमिकल होता है । जब तक पूरा चित्र सामने नहीं होता, तक तक निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता । हमारे सामने पूरा चित्र नहीं है । हम जिस आधार पर आचरण और व्यवहार करते हैं, वह आधार है--विचार | विचार उत्पन्न होता है और आदमी उसी के अनुसार आचरण और व्यवहार करता है । किन्तु उस विचार के पीछे, आचरण के पीछे जो है, उसका हमें पता नहीं है । आज का विज्ञान कहता है कि आचरण और व्यवहार के पीछे रसायन काम करता है । एक आदमी आक्रमण करता है । रसायन उसका मूल कारण है । एक घटना घटती है और आदमी चिता में निमग्न हो जाता है । घटना के साथ चिन्ता का कोई साक्षात् संबंध नहीं है । चिन्ता का सीधा संबंध है रसायन साथ । एक रसायन पैदा होता है और आदमी चिन्ता में डूब जाता है । एक रसायन पैदा होता है और आदमी डर से कांपने लग जाता है । प्रत्येक आचरण और व्यवहार का अपना रसायन होता है, वह आदमी को उस प्रकार के आचरण और व्यवहार के है। तरंग शास्त्रीय संदर्भ में जब इस विषय पर कि संभवतः वैज्ञानिकों ने अभी पूरे रसायनों की पाए हैं । किन्तु कर्मशास्त्रीय खोजों के अनुसार हमारे के प्रकार हैं, जितने कर्म के प्रकार हैं । प्रत्येक घटना रसायन के साथ जुड़ी हुई है और प्रत्येक रसायन कर्म के साथ जुड़ा हुआ है । एक शृंखला है -कर्म, भाव और रसायन । 'कर्मतो जायते भाव: भावात् कर्माऽपि सर्वदा ।' कर्म से भाव पैदा होते हैं और भाव में कर्म पैदा होते हैं । कर्म का यहां अर्थ कार्य या क्रिया नहीं है । यह पौद्गलिक अनुबंध है, जो क्रिया की प्रतिक्रिया के रूप में हमारे साथ जुड़ता है । क्रिया का प्रतिबिम्बन या अंकन होता है और वह हमारे मस्तिष्क से जुड़ता है । यह स्थूल मस्तिष्क का अंकन बहुत स्थूल होता है किन्तु सूक्ष्म चेतना के साथ अनुबंधित हो जाता है । लिए प्रेरित करता मनोविज्ञान की भाषा में हम जागृत चेतना - कोन्सियस माइन्ड - के स्तर पर जी रहे हैं । उसके पीछे है अवचेतन और अचेतन माइन्ड का स्तर कोन्सियस और अन- कोन्सियस माइन्ड । उससे हम अजान हैं। हमारी बहुत सारी प्रवृत्तियां अचेतन मन के द्वारा प्रेरित होती हैं, किन्तु हमें ज्ञात नहीं है कि अचेतन में क्या-क्या है ? हमारी प्रत्येक क्रिया का प्रतिबिम्बन अचेतन मन तक चला जाता है । फिर उसकी प्रतिक्रिया होती है और Jain Education International सोचता हूं तो पता लगता है खोज नहीं की है, नहीं कर शरीर में उतने रसायनों For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003084
Book TitleAvchetan Man Se Sampark
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size9 MB
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