________________
३४
चांदनी भीतर की
चक्रवर्ती ने जिज्ञासा की-तुम बताओ ! कौन होता है तीन लोक का स्वामी?
पनि चित्र-जो अकिंचन है, वह तीन लोक का स्वामी है। बड़ा कौन?
यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है--पूर्णता के शिखर बिन्दु पर कौन पहुंच सकता है? पूर्ण साम्राज्य किसका हो सकता है ? एक करोड़पति आदमी को बड़ा माना जाता है पर एक अरबपति के सामने वह छोटा है। एक अरबपति खरबपति के सामने कुछ नहीं है। एक सम्राट् के वैभव के सामने ये सब छोटे पड़ जाते हैं। क्या एक सम्राट् बहुत बड़ा है ? दूसरा सम्राट् उससे भी बड़ा हो सकता है। सिकन्दर विश्वविजयी था। नेपोलियन भी बहुत बड़ा सम्राट् था। जब उनसे बड़ा कोई आया, वे छोटे पड़ते चले गए। यह मनुष्य लोक की बात है। इसमें कोई छोटा हो जाता है और कोई बड़ा। हम इससे आगे बढ़ें। देवलोक की समृद्धि को देखें। माना जाता है-व्यंतर देवता के पैर के जूते में जितना धन है उतना धन समूचे मनुष्य लोक में नहीं है। कौन बड़ा है
और कौन छोटा ? ज्योतिषी, भवनपति और अनुत्तर विमान के देवताओं के पास वैभव क्रमशः अधिक है। सर्वार्थसिद्धि के देवताओं का वैभव उससे भी अधिक है। इन्द्र का वैभव सामने हो तो राजा दशार्णभद्र का वैभव छोटा ही पड़ेगा।
मुनि चित्र ने संभूति से कहा-भाई ! जब तक किंचन रहेगा तब तक सबसे बड़ा नहीं बन पाएगा। तुम चक्रवर्ती हो पर देवता तुमसे भी बड़े हैं। जहां किंचनता है वहां छुटपन और बड़प्पन का मापदण्ड चलता रहेगा। सबसे बड़ा बनने का सूत्र है-अकिंचनता। जो अकिंचन हो गया, वह सबसे बड़ा बन गया। पूर्णता का बिन्दु ___अनेक बार यह स्वर उभरता है--आचार्यवर जितने बड़े-बड़े प्रासादों में रहे हैं, करोड़ों-अरबों रुपये के सुविधा संपन्न भवनों में रहे हैं उतने मकानों में दुनिया का कोई व्यक्ति रहा है या नहीं। आचार्यवर पचास वर्षों की पद यात्रा में इतने गांवों में गए हैं, इतने मकानों में रहे हैं, जिनकी गणना करना भी बड़ा कठिन है। राष्ट्रपति भवन में रहे, प्रधानमंत्री निवास में रहे, मुख्यमंत्री संपूर्णानंद की कोठी पर रहे। अनेक राज्यपाल-भवनों में रहे, ऊटी के राजभवन में रहे, बड़े बड़े कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रहे। इतने बड़े-बड़े मकानों में कितने व्यक्ति रह पाते हैं ! बाड़मेर जिले में रेतीले टिब्बे पर बनी घास-फूस की झोपड़ी में रहे, जहां रात भर बिच्छुओं और मच्छरों का परीषह रहा। झोंपड़ी से लेकर राष्ट्रपति भवन तक-आचार्यवर का प्रवेश अबाध रहा है। कितना मूल्य है उन सबका ! प्रश्न हो सकता है-इतने मकानों में कैसे रहे ?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org