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'चांदनी भीतर की हमारे लिए अरिष्टनेमि एक आदर्श हैं। उनके जीवन प्रसंग से हम अधिक सीख सकें या नहीं, पर कुछ अवश्य सीखें। अस्वीकार की शक्ति, असहयोग की शक्ति प्राणि मात्र के प्रति करुणा और अहिंसा का विकास--ये चार बातें जीवन में आशिक रूप से उतरनी शुरू हो जाए। क्रूरता धुल जाए, प्राणिमात्र के प्रति करुणा जागे। मनसा वाचा कर्मणा मैं किसी को दुःखी बनाने का निमित्त न बनूं, यह भावना बलवती बने, इतना कुछ घटित कर सकें तो अरिष्टनेमि की स्मृति हमारे लिए बहुत कल्याणकारी और वरदायी सिद्ध होगी।
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