________________
हिन्दू सम्प्रदाय नहा, राष्ट्रीयता ह ७३
क्या जैन हिन्दू हैं ?
I
हिन्दू को सम्प्रदाय मानकर हमने भारतीयता या राष्ट्रीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया । आज वैदिक धर्म के अनुयायी अपने आपको हिन्दू कहलाने में गौरव का अनुभव करते हैं । बौद्ध और सिख अपने आपको हिन्दू नहीं मानते । जैन स्वयं को हिन्दू मानते भी हैं और नहीं भी जानते । पूना के विद्वान् ने आचार्य तुलसी से पूछा- क्या जैन हिन्दू हैं या नहीं ? आचार्यश्री ने इसका उत्तर सापेक्ष दृष्टिकोण से दिया । आचार्यवर ने कहा - यदि हिन्दू का वैदिक सम्प्रदाय है तो जैन हिन्दू नहीं है और यदि हिन्दू का अर्थ भारतीयता अथवा राष्ट्रीयता है तो जैन हिन्दू हैं । इस्लाम का अनुयायी होने के कारण मुस्लिम सम्प्रदाय का स्वतन्त्र अस्तित्व है, किन्तु जहां राष्ट्रीयता का प्रश्न है, क्या वहां मुसलमान हिन्दू नहीं है ? चीन में बौद्ध, कन्फ्युशियस आदि सम्प्रदाय के अनुयायी हैं, वहां इस्लाम के अनुयायी भी हैं किन्तु राष्ट्रीयता की दृष्टि से शेष चीनी और इस्लाम के अनुयायियों में कोई अंतर दिखाई नहीं देता ।
प्रश्न राष्ट्रीयता का
हिन्दुस्तान में हिन्दू और मुसलमान — इन दो शब्दों के अंतराल में कितने पहाड़ हैं, कितनी दरारें और कितनी खाइयां हैं। राष्ट्रीयता भी एक नम्बर और दो नम्बर में बंटी हुई है । यह असम्भव नहीं है कि मुसलमान के मन में अपनी राष्ट्रीयता का बिम्ब कोई दूसरा है और हिन्दू भी उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक माने हुए हैं । इस स्थिति का निर्माण इसलिए हुआ कि हिन्दू को एक सम्प्रदाय बना दिया गया । वास्तव में ही हिन्दू कोई सम्प्रदाय नहीं है, वह एक राष्ट्रीयता है । सिन्धु नदी से उपलक्षित भू-खण्ड हिन्दू राष्ट्र है । इस प्रदेश का निवासी किसी भी सम्प्रदाय का हो, वह हिन्दू ही कहलाता है । वैदिक, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख, ईसाई, इस्लाम, शैव-— सब सम्प्रदाय हैं । सम्प्रदाय का सम्बन्ध अपनी-अपनी धार्मिक मान्यता से जुड़ा हेता है । मातृभूमि या राष्ट्रीयता से उसका सम्बन्ध नहीं है ।
नई मानसिकता
राजनीति की धारा ने एक नयी मानसिकता का निर्माण किया है । हर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org