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________________ नशामुक्ति की समस्या और प्रयत्न ५५ भी बढ़ी है। यह समस्या व्यवसाय से भी जुड़ी हुई है । मादक वस्तुओं के व्यवसायी इस व्यवसाय में अपार धन-संपदा अर्जित कर रहे हैं । वे कैसे चाहें कि आज की युवा पीढ़ी नशे की आदत से मुक्त हो जाए । इस परिस्थिति में 'नशा मत करो' यह उपदेश कितना कारगर हो सकता है, यह एक ज्वलंत प्रश्न है । समस्या की व्यापकता के सामने उसके निरोध का प्रयत्न नगण्य जैसा है । क्या इस प्रकार का प्रयत्न चलाया जाए या न चलाने का निर्णय किया जाए ? बहुत लोग कहते हैं—समस्या के महासमुद्र में एक छोटा-सा टापू बन रहा है समस्या के निवारण का प्रयत्न | गणित की भाषा में न सोचें अणुव्रत जैसे नैतिक आन्दोलन के सामने यह प्रश्न प्रस्तुत किया जा सकता है किन्तु अमेरिका जैसे शक्तिसम्पन्न राष्ट्र के राष्ट्रपति नशे के विरोध में खड़े हैं और उनका प्रयत्न भी सफल नहीं हो रहा है तो प्रश्न गंभीर बन जाता है। हम इस सचाई को स्वीकार कर लें—नशे में जो आकर्षण है, वह नशा छुड़ाने में नहीं है । हर बुराई के साथ यह समस्या जुड़ी रहती है फिर भी सचाई को जीने वाला व्यक्ति बुराई के सामने कभी घुटने नहीं टेकता । वह गणित की भाषा में नहीं सोचता—कितना होगा ? कितनी मात्रा में होगा ? वह अपने कर्त्तव्य की भाषा में सोचता है | कर्तव्य आंकड़ों के आधार पर नहीं चलता, वह जीवन के साथ चलता है । नशा जीवन के लिए घातक है, स्वास्थ्य के लिए घातक है और सबसे बड़ा घातक है भावात्मक स्वास्थ्य के लिए । कुछ संस्थाएं नशामुक्ति के लिए औषधीय उपचार का सहारा ले रही है । राजकीय नियंत्रण, व्यवस्था और उपचार के साथ यदि मस्तिष्कीय प्रशिक्षण-शिक्षण और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग जोड़ दिए जाएं तो नशामुक्ति अभियान को और अधिक गति दी जा सकती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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