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________________ निद्रा, अनिद्रा और अतिनिद्रा १५५ के लिए कायोत्सर्ग बहुत महत्त्वपूर्ण है । समस्या यह है—कायोत्सर्ग करना चाहिए जागरूकता के साथ पर कायोत्सर्ग करने वाला व्यक्ति नींद में चला जाता है। अनिद्रा को मिटाने का एक उपाय है कायोत्सर्ग । ___ अनिद्रा को मिटाने का एक उपाय है पढ़ना, स्वाध्याय करना । पढ़ना शुरू करें, स्वाध्याय शुरू करें, पढ़ते-पढ़ते नींद आनी शुरू हो जाएगी । बहुत से लोग ऐसा ही करते हैं । बिस्तर पर जाते हैं, पुस्तक पढ़ते हैं, पढ़ते-पढ़ते नींद आ जाती है । अनिद्रा को मिटाने का उपाय है—लेटकर गिनती शुरू करना । सौ से लेकर एक तक उल्टी गिनती करें । सौ से एक तक पहुंचने से पहले ही नींद आ जाएगी। योग निद्रा भी अनिद्रा को मिटाने का एक प्रयोग है | योगनिद्रा कैसे ली जाती है ? पहले कोई आसन-व्यायाम कर लिया जाता है । प्रारम्भ में भुजंगासन, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आदि कर लेने से अनिद्रा की स्थिति टल जाती है । नींद के दो प्रकार नींद के दो प्रकार और बतलाए गए हैं। एक है- मनःश्रम संभव । दूसरा है—शरीर-श्रम-संभव । मानसिक श्रम करने से जो नींद आती है, उसका नाम है मनःश्रम-संभव । शरीर का श्रम करने से जो नींद आती है वह है शरीरश्रम-संभव । आसन शरीर का श्रम है, स्वाध्याय करना या उल्टी गिनती गिनना मानसिक श्रम है । इनसे भी नींद आने लग जाती है । ये सारे अनिद्रा की बीमारी को मिटाने वाले साधनात्मक प्रयोग हैं । गोलियां खाकर नींद लेना बहत खराब है । प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों द्वारा बहुत से लोगों ने नींद की गोलियां लेनी छोड़ दीं। अहमदाबाद में शिविर चल रहा था । उसमें एक बहिन अनिद्रा की बीमारी से ग्रस्त थी । वह नींद के लिए प्रतिदिन बीस-तीस गोलियां खाती थी । स्वाध्याय, आसन और कायोत्सर्ग का प्रयोग करने से तीस दिन में सारी गोलियां छूट गईं । चौथे दिन वह बिना गोली खाए नौ बजे सोयी और चार बजे उठी । प्रयोग के द्वारा बहुत कुछ छूट सकता है । बहुत सारी व्यर्थ की औषधियों से बचा जा सकता है किन्तु आदमी साधनाप्रयोग में आना नहीं चाहता, डॉक्टर की शरण में जाना अधिक पसंद करता है । दवा की शरण उसे ज्यादा अच्छी लगती है । एक बार जो साधना-शिविर में आ जाता है उसकी दृष्टि बदल जाती है, चिन्तन बदल जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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