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गया, आग का धर्म प्रधान हो गया । सह-अस्तित्व का दार्शनिक संदर्भ
जैन आगमों में एक प्रश्न आता है-रोटी भी अनाज की है, शाक भी वनस्पति का है । अब उसे क्या कहा जाए ? क्या उसे वनस्पति कहा जाए ? उत्तर दिया गया -: - उसे वनस्पति नहीं कहा जा सकता। वह आग भी है, वनस्पति भी है । उसे तेजस्काय कहा जाए । वह अग्नि में पकाया गया है, अग्नि के उष्ण परमाणु उसमें समाए हुए हैं । एक लोहे की छड़ को इतना तपाया गया कि वह आग का गोला बन गया । लोहा पृथ्वीकाय होता है । प्रश्न आया, उस अग्निमय लोहे को पृथ्वीकाय कहा जाए या तेजस्काय कहा जाए । उत्तर दिया गया- — उसे पहले तेजस्काय कहा जाए फिर पृथ्वीकाय कहा जाए । मूल बात है कि दुनिया में सर्वथा विरोध या सर्वथा अविरोध जैसा कुछ भी नहीं है । विरोध और अविरोध का जोड़ा शाश्वत है, चिरंतन है । प्रत्येक पदार्थ भेद और अभेद, विरोध और अविरोध का संगम है । यह सह-अस्तित्व की चर्चा का दार्शनिक संदर्भ है ।
सह-अस्तित्व के तोन सूत्र
व्यवहार के संदर्भ में सह-अस्तित्व के तीन सूत्र हैं- आश्वास, विश्वास और अभय । जैन आगम प्रश्नव्याकरण में अहिंसा के सात नाम बतलाए गए हैं । वे उस के प्रत्येक पहलू को प्रकट करने वाले नाम हैं । उनमें तीन नाम हैं- आसासो, वीसासो, अभओ । सह-अस्तित्व संभव बनता है आश्वासन में। जहां आश्वासन है, एक व्यक्ति दूसरे से आश्वस्त है, कहीं भी अनाश्वासन जैसी बात नहीं है, वहां सह-अस्तित्व का विकास होता है । दूसरी बात है विश्वास की । एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के प्रति विश्वास हो । तीसरी बात है अभय की । व्यक्ति तभी अभय बन सकता है, जब दूसरा व्यक्ति विश्वस्त हो, विश्वासी हो । विश्वास तब जागता है जब आश्वासन मिलता है । आश्वास, विश्वास और अभय – ये तीनों जुड़े हुए हैं । जब ये तीनों स्थितियां निर्मित होती हैं, तब सह-अस्तित्व का सूत्र व्यवहार में प्रादुर्भूत होता है । एक आश्वासन बना है समझौता
अहिंसा के अछूते पहलु
आज एक समस्या है। अणु अस्त्र बन रहे हैं । एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र से कोई आश्वासन नहीं है । अभी कुछ मास पूर्व रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल गोर्बाच्योब और अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने प्रक्षेपास्त्रों में कमी करने का समझौता किया । वह एक आश्वासन बना । उस आश्वासन से एक विश्वास पैदा हुआ है और विश्वास से अभय का वातावरण बना है । एक भय बना हुआ था कि अणु अस्त्रों के द्वारा न जाने कब सारे संसार का विनाश हो जाए । वह भय भी कम होता शुरू हुआ है । सह-अस्तित्व के लिए
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