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________________ अहिंसा के अछूते पहलू हर आदमी को आश्वासन; हर आदमी को अपने अधिकारों का प्रयोग करने का अवसर हो, सारी बातें चाहते हैं समाज में तो हमें मूल सचाई को पकड़ना होगा कि अपने स्वार्थों को सीमित किए बिना, अपनी मूर्छा को सीमित किए बिना सारी आकांक्षाएं मात्र एक दिवास्वप्न बनेंगी, सत्य कभी नहीं बन पाएंगी। यदि आकांक्षाओं को कृतार्थ करना है, क्रियान्वित करना है तो हमें सत्य को पकड़ना होगा। हम कैसे मूर्छा को कम कर सके, मूर्छा के चक्र को कैसे भेद सकें, तोड़ सकें, इस सत्य को पकड़ना है। यदि इस सचाई को पकड़ लिया तो बहुत सारी समस्याओं, दुःखों और आपदाओं को निरस्त करने का मार्ग ढूंढ लिया, अपने जीवन को ऐसा पवित्र और वातानुकूलित बना दिया कि बाहर जो आंधी चल रही है उसका आप पर कोई प्रभाव नहीं होगा। प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग अपने आपको वातानुकूलित बनाने का प्रयोग है और इस प्रयोग में जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ आता है, तन्मयता के साथ आता है, वह निश्चित ही अपने आपको संतुलित बना लेता है और वह परिस्थिति से अप्रभावित रहकर एक अहिंसक समाज रचना में अपना योग दे सकता है, उसे आगे बढ़ा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003065
Book TitleAhimsa ke Achut Pahlu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size9 MB
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