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अहिंसा और ध्यान
खोदने की। महाराजा जिस सिंहासन पर बैठे हैं उसके एक ओर मकराने का पत्थर लगा हुआ है और दूसरी ओर खाटू का पत्थर लगा हुआ है। इन दोनों के बीच में खजाना गडा हुआ है। दोनों पत्थरों को उखाड़ा। पूरा खजाना मिल गया।
संकेत की भाषा को पढ़ना बड़ा कठिन होता है । हमारे भीतर अहिंसा का बहुत बड़ा खजाना है । किन्तु किस ध्यान के द्वारा उसे प्राप्त करें? उस संत की भाषा को कोई पढ़ पाए तो उसके लिए सरल है। किन्तु बड़ा कठिन है इस संकेत की भाषा को पढ़ पाना। अगर यह संकेत की भाषा समझ में आ जाए और ध्यान का विकास किया जाए तो दुनिया की सबसे ज्वलंत समस्या, जो युद्ध की समस्या है, अणुशस्त्रों की समस्या है, हिंसा की समया है, अपराध की समस्या है इन सब का एक समाधान और एक निदान खोजा जा सकता है और कुछ किया जा सकता है।
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