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________________ ३५४ पावस-प्रवार चा० सं० अग्रगण्य नाम (दो० ३०) गांवठाणा सहयोगी मुनि २०२७ साध्वीश्री मंजुश्रीजी (९६१) सरदारशहर , , इन्द्रूजी (१०४५) लाडनूं २०२८ आचार्यश्री तुलसीगणी लाडनूं संत २६ साध्वीश्री कमलूजी आदि ७१। २०२६ साध्वीश्री विनयश्रीजी (१०३२) श्रीडूंगरगढ़ । , कानकंवरजी (११६५) भादरा ) ० , सूरजकंवरजी (९४२) जयपुर ,, , विजयश्रीजी (९४७) रतनगढ़ । मंजुलांजी (१२२५) लाडनूं २०३१ , रतनकंवरजी (९२३) , २० सोहनांजी (९७७) , २०३२ ॥ सिरेकंवरजी (८६२) श्रीडूंगरगढ़ , , पानकंवरजी (११४६) ३६ , यशोधराजी' (१२८१) लाडनूं । २०३३ मुनिश्री नवरत्नमलजी (५२३) मोमासर २ चौथमलजी (छापर) २०३३ साध्वीश्री सून्दरजी (१०००) सरदारशहर) " , सुखदेवांजी (११३२) चूरू ३५ , , कनकश्रीजी (१२७८) लाडनूं २०३४ आचार्यश्री तुलसीगणी लाडनं संत ३७ साध्वी-प्रमुखा श्री कनक प्रभाजी आदि ७२। १. साध्वी-प्रमुखा लाडांजी का सं० २०२६ में स्वर्गवास हो गया था और नवीन साध्वी-प्रमुखा का निर्वाचन नहीं हुआ था अतः सं० २०२७ और २०२८ की चातुर्मास तालिका में साध्वी कमलूजी का नाम है। सं० २०२८ माघ कृष्णा १३ को गंगाशहर में साध्वी कनकप्रभाजी को साध्वी-प्रमुखा पद पर नियुक्त किया गया । २. इस वर्ष वृद्ध साध्वियों की सेवा में साध्वीश्री रायकंवरजी (६२८) 'राजलदेसर' तथा साध्वीश्री इन्द्रूजी (९४६) 'मोमासर' का सिंघाड़ा था। ३. शिक्षाकेन्द्र । ४. जैन विश्व भारती । ५. सेवाकेन्द्र । ६. शिक्षाकेन्द्र। ७. इस वर्ष वृद्ध साध्वियों की सेवा में साध्वीश्री सिरेकवरजी (९६३) 'सरदारशहर' तथा साध्वीश्री तीजांजी (१०६०) 'सरदारशहर' का सिंघाड़ा था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003055
Book TitleTerapanth Pavas Pravas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavratnamalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages542
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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