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________________ .२६० पावस-प्रवार س س س ع مم مر مر مر س م चा० सं० अग्रगण्य नाम (दी० क्र०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १९७७ आचार्यश्री कालूगणी छापर संत २२ साध्वीश्री कानकंवरजी आदि ३०॥ १९७८ मुनिश्री सागरमलजी (३४२) भिवानी १९७६ , बच्छराजजी (३४३) मोखणुंदा १९८० , चम्पालालजी (३४४) राजनगर १९८१ साध्वीश्री मघूजी (५६३) रीड़ी १९८२ , भत्तूजी (६८४) बीदासर १९८३ , हीरांजी (६२०) नोहर १९८४ , सुवटांजी (५८४) राजलदेसर १९८५ , रतनांजी (६२४) सुजानगढ़ १९८६ मुनिश्री ऋषिरामजी (३७२) सिसाय १९८७ साध्वीश्री लादूजी (६३२) सरदारशहर १९८८ , चांदांजी (६७३) सरदारशहर १९८६ मुनिश्री भोमराजजी (४१४) गंगाशहर ३ छोगालालजी (बोराणा) जयचंदलालजी (छापर) १९६० साध्वीश्री हीरांजी (६२०) नोहर १६६१ मुनिश्री घासीरामजी (३५६) दिवेर गुणचंदजी (पचपदरा) शुभकरणजी (तारानगर) १६६२ साध्वीश्री भीखांजी (७८३) बीदासर १६६३ मुनिश्री हेमराजजी (३७४) आतमा सोहनलालजी (राजगढ़) सुपारसमलजी, मिलापचंदज (बीदासर) १६६४ , सक्तमलजी (३२२) पुर ३ जीवनमलजी (श्रीडूंगरगढ़) उदयचंदजी (सरदारशहर) १९६५ साध्वीश्री सिरेकंवरजी (८६२) श्रीडूंगरगढ़ ५ १९६६ मुनिश्री चंपालालजी (३४४) राजनगर १६६७ । कानमलजी (३८५) पुर ३ मन्नालालजी (सरदारशहर ____ जंवरीमलजी (बीदासर) १९६८ साध्वीश्री हीरांजी (६२०) नोहर १. साध्वी-प्रमुखा जेठांजी राजलदेसर में स्थिरवास कर रही थीं। २. चुन्नीलालजी (राजनगर), छोगमलजी, केशरीचंदजी, दुलीचंदजी (पचपदरा)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003055
Book TitleTerapanth Pavas Pravas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavratnamalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages542
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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