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पावस-प्रवास
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चा० सं० अग्रगण्य नाम (दो० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १८७१ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १८७३ आचार्यश्री भारीमालजी मूहा १८७५ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १८७६ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८८० मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १८८२ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८८५ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १९८६ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८८६ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १८६० आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८६२ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १८९३ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८६४ मुनिश्री जीतमलजी (६४) रोयट। १८६५ , हेमराजजी (३६) सिरियारी १८९६ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १८६७ साध्वीश्री सुखांजी (१३५) कांकरोली १८६८ मुनिश्री हेमराजजी (३६) सिरियारी १९०२ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १९०५ आचार्यश्री रायचंदजी रावलियां १९०६ मुनिश्री सतीदासजी (८४) गोगुंदा १६०६ साध्वीश्री पन्नांजी (१२६) चूरू । १९१२ , चतरूजी 'छोटा' (७०) तोषीणा ६ १९१३ आचार्यश्री जीतमलजी रोयट संत १३ साध्वी-प्रमुखा सरदारांजी.
आदि ३४। १९१४ साध्वीश्री मोतांजी (१३६) गोगुन्दा १९१५ , सेरांजी (१९९) मोमासर १६१६ , नन्दूजी 'बड़ा' (६२) लावा १. साध्वी सरदारांजी (१७१) का उस वर्ष १२ ठाणों से जोबनेर चातुर्मास था। उन्होंने
अपने सिंघाड़े की पन्नांजी (१२६) आदि ४ साध्वियों को पाली तथा चन्दनांजी (१६५) आदि तीन साध्वियों को चातुर्मास के लिए लाडनूं भेजा।
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