________________
पावस-प्रवार
११६ चा० सं० अग्रगण्य नाम (दो० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १६३३ मुनिश्री कालूजी (१६३) रेलमगरा १६३४ , माणकलालजी (माणकगणी) जयपुर ३ १९३५ , छजमलजी (१७५) मांडा १६३६ , कालूजी (१६३) रेलमगरा १९३७ आचार्यश्री जीतमलजी रोयट संत २० साध्वी-प्रमुखा गुलाबांजी
आदि ४६ । १९३८ , " "
संत १८ साध्वी-प्रमुखा गुलाबांजी
आदि ३५ । १६४३ मुनिश्री माणकलालजी (माणक गणी) जयपुर ३ १९४८ आचार्यश्री मघवागणी बीदासर संत २५ साध्वी-प्रमुखा नवलांजी
आदि ४८ । १९५२ आचार्यश्री माणकगणी जयपुर संत १६ साध्वीश्री जेठांजी' आदि २७ १६५३ मुनिश्री कालूजी (१६३) रेलमगरा १९५४ मुनिश्री रामलालजी (१६३) दादरी १९५५ , फोजमलजी (२४२) लोटोती १९५६ साध्वीश्री चान्दाजी 'बड़ा' (३८७) बीदासर । १९५७ , भूरांजी (३७८) लाडनूं १६५८ , बख्तावरजी (३२६) गंगापुर १९५६ मुनिश्री पृथ्वीराजजी (२१६) उदयपुर १९६० साध्वीश्री जड़ावांजी (४८७) बोरावड़ १९६१ , रायकंवरजी 'बड़ा' (३२८) चितामा ५ १९६२ , सिरेकंवरजी (४५६) चांदारूण ६ १६६३ , लिछमांजी (४६४) सुजानगढ़ १९६४ , मखतूलांजी (३८५) लाडनूं १९६५ , नानूजी 'बड़ा' (४२२) खींचन १९६६ मुनिश्री छबीलचंदजी (२३०) सुधरी १९६७ साध्वीश्री लिछमांजी (६३७) मोमासर १९६८ मुनिश्री पूनमचन्दजी (२६२) पचपदरा १६६६ , , , " १. साध्वी-प्रमुखा नवलांजी उस समय बीदासर में स्थिरवास कर रही थीं।
الله
عمر
عر
عر
له
عر
عر
م
عر
عر
س
ع
سم سه
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org