________________
१०८
अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक
में आपत्ति ही क्या है ? दाल-दाल एक ही होती है।" भिक्षु बोले-“माना कि दोनों दालें हैं । किन्तु रुग्ण मुनि के लिए यह मिश्रित दाल अभोज्य है। उसे केवल मूंग की दाल ही दी जा सकती है।" हेमराजजी ने आवेश में आकर कहा--"जो हो गया सो हो गया ।" आचार्य भिक्षु ने उपालंभ दिया । हेमराजजी जाकर सो गए । सब भोजन करने बैठे । आचार्य भिक्षु ने कहा"हेमराज नहीं आया ?" संतों ने कहा-“वे सो रहे हैं ।'' आचार्य भिक्षु ने कहा- "हेमराज ! दोष मेरे देख रहा है या अपने ?" यह सुनते ही हेमराजजी आए और आचार्य भिक्षु के चरणों में पड़कर क्षमा याचना करने लगे।
कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो आशा में निराशा जगा देते हैं और कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जो निराशा में भी आशा के दीप जला देते हैं । निर्णय की शक्ति
मानसिक स्वास्थ्य को नापने का छठा पेरामीटर है-निर्णय की शक्ति | व्यक्ति ठीक निर्णय लेता है या नहीं लेता? व्यक्ति तत्काल निर्णय लेता है या नहीं लेता? चिंतन तो चलता है और निर्णय कुछ भी नहीं लिया जाताइन सबके आधार पर मन के स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है ।
मनोविज्ञान ने मानसिक स्वास्थ्य के परीक्षण के ये छह पेरामीटर, छह बिन्दु सुझाएं हैं । हमने आध्यात्मिक दृष्टि से समता के बिन्दुओं पर विचार किया और मनोविज्ञान की दृष्टि से मानसिक स्वास्थ्य के बिन्दुओं पर विचार किया। इसका निष्कर्ष यह है कि जो व्यक्ति संतुलित जीवन जीता है, समता का जीवन जीता है, सहिष्णुता का जीवन जीता है, मन को आवेशों और दुश्चिताओं की भट्ठी में नहीं झोंकता, वह व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है | समता का बहुत बड़ा परिणाम है मानसिक स्वास्थ्य । जिस व्यक्ति ने समता का मूल्यांकन नहीं किया, उसने अपने मानसिक स्वास्थ्य को कभी भी संजोकर रखने का प्रयत्ल नहीं किया । जो व्यक्ति समता का अनुभव करता है, संतुलन का अनुभव करता है, वह व्यक्ति आपने मानसिक स्वास्थ्य को एक बहुत बड़ी धरोहर मानकर उसकी सुरक्षा करता है । समता का होना मानसिक स्वास्थ्य का होना है और मानसिक स्वास्थ्य का होना समता का होना है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org