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(२०३) “यथाशक्ति" श्वामि० श्चा० पच्चरकाण पायु. "तहत्ति” एम कही, जमणो हाथ कटासणा अथवा चरवला ऊपर स्थापी, एक "नवकार" गणी, पञ्चरकाण कयु होय तेनुं नाम कहीने पारq.ते लखीये बीये-"जग्गएसूरे नमुक्कारस हिअं, पोरिसिं, साढपोरिसिं, गंठिसहि, मुहिसहियं पच्चरकाण कयु चजविहार; आंबिल, निवी, एकासणुं,बेयासणुं,पच्चरकाण कयु तिविहार; पञ्चकाण फासिवे, पालिश्र,सोहिअंतीरियं, किहिअं,
आराहिथं, जं च न थारा हिथं, तस्स मिलामिछक्कम.” एम कही एक नवकार गणवो॥इति॥
॥ अथ पमिलेहण करवानो विधि ॥ ___नवकार पंचिंदिय कही इरियाव हियाए कहेवू, ( स्थापना होय तो नवकार पंचिंदिय न कहेवा.) पनी तस्स उत्तरी अन्नत्य कही एक लोगस्स अथवा चार नवकारनो काउस्सग्ग करी, प्रगट लोगस्स कही, खमासमण दश्, 'इला पमिलेहण करूं ? श्लं' कही, उन्ने पगे बेसी मुहपत्ती, चरवलो, कटासणुं, उत्तरासण, धोतीयं, कंदोरो श्रादिनुं पमिलेहण करवं.
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