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(१एए) चिंतववा साथे मुहपत्ति पमिलेहवी. पनी खमासमण दर "श्लाकारेण संदिसह नगवन् ! सामायिक संदिसावं?" कही कही खमासमण द"श्छाकारेण संदिसह नगवन् ! सामायिक गजं?" श्वं कही बे हाथ जोमी एक नवकार गणी "श्चकारि जगवन् ! पसाय करी सामायिक दंमक उच्चरावोजी” कही, गुरु अथवा वडिल होय तो तेओनी पासे करेमिन्नते उचर,नहि तर पोतानी मेले करेमिजतेनो पाठ बोलवो. पड़ी खमासमण दश् “श्छाकारेण संदिसह जगवन् ! बेसणे संदिसावं” “छकही, पठी खमासमण दर,"श्वाकारेण संदिसह नगवन् ! बेसणे गजं? छ” कहे. पठी खमासमण द" श्छाकारेण संदिसह नगवन् ! सज्जाय संदिसावं?" श्वं कही खमासमण दर वाकारेण संदिसह जगवन् सज्जाय करूं ? श्वं' कही त्रण नवकार गणवा. पली बे घमी वांचवा श्रादिए करी धर्मध्यान करवू अथवा नवकारवाली गणवी. विकथादि प्रमादमां पमबुं नहि.
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