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( १६३ ) प्रसवहुगामि' णिच्चाहिं । पीएसोणियणसां लिपियादि, सकल कमलदललोहिं ॥ २६ ॥ दीवयं ॥ पीणनिरंतरथणजरविण मियगायलयाहिं, मणिकंचणपसिढिलमे दलसो दिसोणितडादि । वरखिंखिणिनेजरस तिलय वलय विनूस णियादि, रइकरचउरमणोदर सुंदर दस णिआदिं ॥ २७ ॥ चित्तकरा ॥ देवसुंदरीहिं पायवंदियाहिं वंदिया य जस्स ते सुविकमा कमा अप्पणो निमालदि मंडलोड एप्पगारएदिं केदिं केहिंवी अवंगतिलयपत्तलेदनाम एहिं चिल्लएदि संगयंगयादि जत्तिसन्निविद्यवंदागयादि हुंति ते वंदिया पुणो पुणो ॥ २८ ॥ नारायर्ज ॥ तमदं जिणचंदं, प्रजित्र्यं जिप्रमोदं । धुयसव किलेसं, पयर्ज पणमामि ॥ २९ ॥
१ गामणि. २ साल पि.
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