________________
महामात्य - वस्तुपाल - कीर्तिकीर्तनस्वरूप उदयप्रभाचार्यादि - अनेक - कविविरचित
सुकृ त कीर्ति क लो लि न्या दि वस्तुपालप्रशस्तिसंग्रह
संपादन कर्ता
अनेकग्रन्थभाण्डागारोद्धारक - विविधदुर्लभ्यग्रन्थसंशोधक जिनागमप्रकाशकारि - प्रतिष्ठानप्रवर्तक
आगमप्रभाकर - मुनिप्रवर - श्रीपुण्यविजय सूरि ।
विक्रमाब्द २०१६]
प्रकाशनकर्ता
अधिष्ठाता, सिंघी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्याभवन, बम्बई
ग्रन्थांक ५]
て冷
Jain Education International
dut
प्रथमावृत्ति
सर्वाधिकार सुरक्षित
For Private & Personal Use Only
[ ख्रिस्ताब्द १९६१
www.jainelibrary.org