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परिशिष्टम् ]
आबूरास। लुणसापुत्तु जु विरधवले, राणउ अरडकमल्ल । त चोर-चराडिहि आगलओ, रिपुरायह उरि साल
भासवस्तपालु तसु तणइ महंतउ, सहुयरु तेजपाल उदयंतउ । अभिणबु मंदिर जेण कराविय, ठोवि ठावि जिणबिंब भरात्रिय महिमंडलि किय जेणि उद्धारा, नीरनिवाणिहि सत्तूकारा । सेत्तुजसिहरि तलावु खणाविउ, अणपमसरु तसु नामु दियाविउ नितु नितु सुरसंघ पूजा कीजइ, छहि दरिसणि घरि दाणु वि दीजइ । संघ पुरिस पुहविहि सलहीजइ, रीतु वघेला बहु मानिजइ अन्न दिवसि निय मणि चिंतीजइ, महतइ तेजपालि पभणीजइ । आबू भणिजइ तीथहं ठाउं, जइ जिणमंदिरु तह नीपावउं ठाकुरु ऊदल ताव हकारिउ, कहिय बात कान्हइ बइसारिउ । आबू रिखभह मंदिरु आछइ, महतउ तेजपालु इम पूछई बीजउ नेमिहिं भुवणु करेसहं, जइ जिणमंदिर थाहर लहिसहं । पहिलउ सोमनरिंदु पूछीजइ, कटक माहि जाइवि विनवीजइ
ठवणिमहतिहिं जायवि भेटियओ धावलदेविमल्लारु ।
त कड(र) जोडेविणु वीनतओ, सोमनरिंद प्रमारु ॥ विनति अम्हहं तणीय, सामिय तुहु अवधारि ।
___त मागउ थाहर मंदिरह, आबृयगिरिहि मझारि त तूठउ धांवलदिवितणउ, आगइ कहियउ एहु।
त विमलह मंदिर आससउं, बिजउं करावहु देव ।। अम्हि धुरि गोठिय आबुयह, आगे अछह निवाणु । त करिज मंदिरु तिजपाल ! तुहुँ, हियइ म धरिजहु काणि
भासादिस( य ! )इ आय(ए)सु तह सोमनरिंदो, वस्तुपालु तेजपालु आणंदो । जिण समिय मंदिरु वेगि निप्पज्जए, अइसु निरोपु दिव उदुलु दीजए अइसि ऊदल्लु चंद्रावती आवए, सयलु महाजनु घरि तेडावए । चालहु हिव आबुइ जाएसहं, जिणमंदिर थाहर भूमि जोएसहं
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१साल-शल्यतुल्यः॥ २ ठागे ठामे स्थाने स्थाने ।। ३ कने बेसारी-पासे वेसारीने ॥ ४ मंदिरने लायक भूमी॥
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