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________________ For Private & Personal Use Only सिंघी जैन ग्रन्थमाला ] [ सन्देश रासक यदि शहा हा लिंगस्यांगजन्माडोमा तिलचा द्रविदित चरण। रुद्र जी गये । श्रीमदवेंद्र शिष्यः त्रारम गत वसरे छत्त्रिमलली चंद्रश्च का खिलगुणनिधयः सरया सायं वृत्रिनीश्या विला किनारे।। यानचानाणि चानाकमुख नदिउ विमया वा श्राविशाखं कचित्। किंच त्रियाउ स्पमुखता याया तितामा सास्त्रमया विमूढ मतिनावाची निदान | शायदन्यथा मया प्रोको कश्चिदर्थस्तथाय दीनद नेवजानामितिनाले व गाइड: लिखितंश्रीष हिसार डी प्राषाढदिव्यष्टया सुंधवासरे। नवजुनीय सुपिढियगाहपियकंरिवरी एयारिसंम्मिसमर घादिरदो यनिलायम हियरंमद हियरे कंदप्पो खिवसरजाल जाणरकरु कमिश् दियधणु दुखाउन्नियहमयणञ्चयिविरहिणिपलित्तिहिं तंफरसनमिल्देविद विण्यम धियानमित्रिद्धि निमजे पिय निमकुवतपनणियजत्रु, श्रासामिविवरकामि सहिवहाऊपडिवु जंपद्विवितंबलियदीत्रवितुरियश्चंत रियदिसिदक्षाणतिजा मदरसिय आमन्तपदाववरियदिहुणा तिणिकत्तिहरिनिय जमवितावसुमि मुखांत द्विमदंतु ते पढेत सुरणेत्यह जय ऋणाय तु समाहामिदमंदेसरास कं ॥2उपध्यायश्री श्री श्री देवसागरत सिक्ष्यमुनिमानसागरलिखिते सहाश्री श्री श्री श्री प ।। यादृशं पुस्तकंदृष्ट्ा । तादृशेलिषितंमया । यदिसुण म BC सञ्ज्ञक आदर्श प्रतिकृति १७ B
SR No.002918
Book TitleSandesha Rasaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1945
Total Pages282
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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