________________
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
सुहृद् वा कालोऽयं व्रतमिदमदैन्यत्रतमिदं
कियद् वा वक्ष्यामो वटविटप एवास्तु दयिता ॥ २९९ ॥ महेश्वरे वा जगतां महेश्वरे जनार्दने वा जगदन्तरात्मनि ।
न भेदहेतुप्रतिपत्तिरस्ति मे तथापि भक्तिस् तरुणेन्दुशेखरे ॥ ३०० ॥ मातर्मेदिनि तात मारुत सखे तेजः सुबन्धो जल
www
भ्रातर्व्योम निबद्ध एष भवतामन्त्यः प्रणामाञ्जलिः । युष्मत्सङ्गवशोपजातसुकृतोद्रेकस्फुरन्निर्मल
११८
ज्ञानापास्तसमस्त मोहमहिमा लीये परब्रह्मणि ॥ ३०१ ॥ मातर्लक्ष्मि भजस्व कंचिदपरं मत्काङ्क्षिणी मा स्म भूर् भोगेभ्यः स्पृहयालवस् तव वशे का निःस्पृहाणामसि ।
BIS. 4758 (4702 ) Bhartr. lith ed. II. 3. 44. Subhash 320 300 _ {V} Om.in F12 X M1.6 Mysore 582 (subst. अहौ वा हारे वा ) Jodhpur 3 NS1 and Ujjain 6414. Yr missing. 4) A3 CE2t_F2.5 J WY1-6, 8T G2-5 अधीश्वरे (for the second महेश्वरे) G1. + tv. M 1-3 पिनाकिनि प्राणभृतां प्रणायके. - ९ ) A3 अभेदबुद्धि-; B_J2.3 Y1 - 6.8 Wac. 2ese TG M1-3 न वस्तुभेद; Cन वास्ति भेद ; Ro. + m.v. नो भेदहेतुः; Rat. 3.46 F3.5 तयोर्न भेद-; Es H13 न भेदहेतुः ; Jat समस्तु भेद-; Jac समस्तभेद-; W1-3 ( all text ) न वस्तुतो मे; W+ नमस्तुतो मे 1 प्रतिपत्तिनास्ति; Gat प्रतिपतिरस्तु B1 रे (for मे ). Wom.मे. -- " ) B1 स्तिथापि ( corrupt ) ; J1.3 तदापि (for तथापि ). M1-3 विभावस् (for [ अ ]पि भक्तिस् ). Y1 - 3 G1 -1 भावसू (for भक्तिस् ).
~
-
BIS. 4775 (2159) Bhartr. ed. Bohl. 3. 84. Haeb. 79. lith. ed. I. $2, II. 89 Prasañgābh. 9. Com. on Kāvyādarśa of Dandin 1. 73; SHV f. 28a (Bh.). 301 {V} Om in A W, BORI 329 and NS2. Punjab 2101 V extra 2. 8. Yr missing. — “) BCIe H J1 F3.5 - ज्योतिः (for तेजः ). D च बंधो ; Y3 सुबंधौ. Eo. 2. 4 F4 जलं ; J1T2 ज्वल; Go ज्वलं. . " ) F2 J1 Ys T1 G 3-5 एव (for एष ). Bat. v. I मार्गे; CFs अ; Eo.:-: J1.3 अंत्य; F2 अंत:; F3 मान्यः; X1 आंत्य - ; X2 आंते; T2 मर्त्यः ; G2.3 अंत्ये; M3 अद्य (for अन्त्यः ). Esc F1.3.5 M2 प्रमाणांजलि: ; G2.3 भवत्यंजलिः - ° ) Fa 'वशेन जात' ; X वशोपि जात XX1-0. TG1.4.5M सुकृत ( X1 °ते; X2 °तो ) स्फार J3 X -निर्मलः. * ) C -ज्वालापास्त ; DF 2 - ज्ञानोपास्त; X - ज्ञानोपान्त H3 लीयं. BD E2 F1. 4. 5HI Y2 परे ( for पर ).
ज्वलः;
_
BIS. 4786 (2163) Bharty. ed. Bohl 396. Haeb. 21. Galan 92 lith ed. II. 80. Kāvyakal. 35. Prasangabh. 7. Santis. 4. 25 ( Haeb. 429 ); Sp. 4095 (Bh.); SRB. p. 369. 75 (Bh.); SRH. 201, 3 (Bh.): SRK. p. 296. 16 (BIS.); SSD. 4. f. 29a.
302 {V} Om. in W. Y7 missing. a) G1 M2 लक्ष्मीरम्ब ( for मातर्लक्ष्मि ). E2 J10 लक्ष्मी. B1DI J3 M + किंचिदपरं ; Y1 T2.3 कं चिदपरं. B2 Eat Ya - कांक्षणी; C - प्रार्थिनी J च (for स्म ) . - 3 ) F2 Y1 - 0.3 TG4.5M1. भोगेपु; भोगिभ्य: B [ अ ] थ विनिर्वृता वयमहो ; C D E F 4 ( m. v. as in text ) स्पृहयालवो न हि वयं; Y1 45G2
Jain Education International
-
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org