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संशयितश्लोकाः।
१११ संप्रत्येते वयमुपरतं बाल्यमास्था बनान्ते
क्षीणो मोहस् तृणमिव जगज्जालमालोकयामः ॥ २८२ ॥ ब्रह्मज्ञानविवेकिनोऽमलधियः कुर्वन्त्यहो दुष्करं
यन् मुञ्चन्त्युपभोगभाज्यपि धनान्येकान्ततो निःस्पृहाः। न प्राप्तानि पुरा न संप्रति न च प्राप्तौ दृढप्रत्ययो ___ वाञ्छामात्रपरिग्रहाण्यपि परं त्यक्तुं न शक्ता वयम् ॥ २८३ ॥ ब्रह्माण्डमण्डलीमात्रं किं र्लोभाय मनस्विनः । शफरीस्फुरितेनाब्धेः क्षुब्धता जातु जायते ॥ २८४ ॥
Y3 अस्था वनांते; Ms आस्थापनं ते. ---- ") B ध्वस्तो; Wit क्षिप्तो; Y नष्टो; G1 क्षीगा- ( for क्षीणो). GE -मोदास (for मोहस्). C जराजालाम् Cat जगजातम्. CWz.st. मालोकयामि; It (Sr.) आलोकयाम; '1 आलोचयामः.
DIS, 1144 (1960) Bhartr. ed. Doll, 1. 93. IIaob. 96. Satüküv. 75. SK. 7.1; JSV. 304. 11.
283 V} Om. in AE (Lo V111, estra; Ea and Baroda 1781 V110, extra), NSI.D. NS3 V11 and V109 (estra). -- ") G1 M1. तत्वज्ञान- Jit "किनो जडधियःS 'कनिर्मलधियः- JI कुर्वत हे. Eo.2 H1.2.30 I दुःकरं. --- ") Y2 उरुभोग(for उपभोग-). D -भांजि विविधानि; 2 -कांचनधनान; Wit -जान्यपि धनानि X1 -भ्रांत्यपि धनानि (sic); X -भात्यपि धनानि. D निस्पृहः; F1-3.5 J2.3X Y1.7 G.II निस्पृहाः, --- ") D न प्राप्नोति; J2 V C2.3 संप्राप्तानि; J३ न प्राप्तं; Y1, 4-6.8 TG1.1. 11.2 संप्राप्तान; Y संप्राप्ता न; Y3.7M3-5 संप्राप्तं न. W1. नव- (for न च). C प्राप्तY: प्राप्त G1 प्राप्यां; M1.1 प्राप्यान; M2 प्राप्यं; M; प्राप्ता (for प्राप्ती). B1 J2.3 Ws. Y1-3 M5 दृढप्रत्यया; BYi-s T CH.5 1.2.+ दृढप्रत्ययान; c न च प्रत्ययं; E2 दृढः प्रत्यया; II Fi दृढः प्रत्ययो G1 इंढप्रत्ययाद. संग्रातंन परित्यजति न च कांक्षन्ति दृढप्रत्ययाः, -") Y: वांछामूत्र(sic). H2 Ca -परिग्रहान्यपि X Y1-6. S T CM परिग्रहानपि X1 -परिग्रहार्थनषिY -परिग्रहापि न. JW Y1-5.7 G1-+ परि- कथं (for परं).
BIS. 4491 (1991) Bharts, ed. Bohi. 3. 14. Haeb, lith, ed. I. III and Galan 13, lith. ed. II. 96. Subhash. 317. Santis. 1.4 (Haeb. p. 410). SR.B. p. 370. 924; SKM. 126. 17; SIRK. P. 94.2 (Kalpataru); SHV. f.775872 ; SU. 1033 (Bilhans?); SM. 1095%; SN. 291; SSD. 4. f. 7b; SSV. 1081.
284 v} Onm. in A F3 W, BORI329, Punjab 2101, Punjab 697, Syngeri 309, NSS, BU114/7. Yr missing. - ) I Y1-6.8 TC M1. ब्रह्मांडं; Ms. ब्रांड-. Tie.v. मंडलीभूतं.-")C FX Y2.3 MB किं भोगाय; F2 भोगाय च; HJ Y1 किं लाभाय; Gat किं लोकाय. .1 मनस्त्रिनां (Ma 'ना). - ) Est शबरी- EcX1 -स्फुरतेन; ta M1.2.5 -क्षुभितेन; (६.८ -स्फुरितैर् (for -स्फुरितेन). F1 [अब्धः ; Y1. 2. 4-6. S T Ge-5_11 [अ] ब्धिः; Mi. [अ]धौ. - ") 12 क्षुब्धमायातु; F क्षुब्धता किं प्र-; X1 क्षुब्धतां जातु; Y1.2.1-0.3 T CE Ms क्षुब्धो न खलु YC क्षुब्धता नैव; G1 क्षुब्धता किं न; G2. क्षुब्धो जातु न; Mi. क्षुब्धता किं नु.
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